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मंत्रिमंडल का पुनर्गठन:गहलाेत सरकार में अब अजमेर का प्रतिनिधित्व शून्य, शर्मा के चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री का पद छाेड़ने के बाद अजमेर से किसी काे माैका नहीं

अजमेर प्रदेश में अशोक गहलोत की सरकार में मंत्रिमंडल का पुनर्गठन हो गया है लेकिन अजमेर के हाथ खाली हैं। केकड़ी से विधायक डॉ. रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाए जाने और इसके बाद उनके मंत्री पद छोड़ने के बाद मंत्रिमंडल से अजमेर का प्रतिनिधित्व खत्म हो गया था। मसूदा के विधायक राकेश पारीक को राज्य मंत्री की आस थी जो पूरी नहीं हुई, अब उनकी नजर संसदीय सचिव पद पर है। वहीं दूसरी ओर, निर्दलीय विधायक के रूप में निर्वाचित होने के बाद कांग्रेस का समर्थन कर रहे किशनगढ़ विधायक सुरेश टांक भी अब अन्य राजनीतिक नियुक्ति का इंतजार करेंगे। हालांकि उन्होंने संसदीय सचिव के लिए रूचि नहीं दिखाई है।

अजमेर जिले में आठ विधानसभा क्षेत्र में से पांच पर भाजपा का कब्जा है अौर केवल दो कांग्रेस विधायक निर्वाचित हुए थे, यही वजह है कि अजमेर को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इन सबके बीच लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद डॉ. रघु शर्मा केकड़ी से विधानसभा चुनाव जीतकर कद्दावर नेता के रूप में उभरे। लोकसभा उप चुनाव में वे सचिन पायलट के नजदीकी थे, लेकिन जब राजनीतिक घटनाक्रम बदला और पायलट गुट ने गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया तो डॉ. रघु शर्मा ने सीएम गहलोत का पूरा साथ दिया। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में भी डॉ. रघु शर्मा की अलग पहचान बनी और उन्हें गुजरात चुनाव के लिए प्रभारी बनाकर अहम जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन डॉ. रघु शर्मा के मंत्री पद छोड़ने के साथ ही अजमेर का मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया।

अब अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर काबिज होकर राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त करने की होड़ वरिष्ठ नेताओं के बीच बढ़ेगी, जिसमें किशनगढ़ विधायक सुरेश टांक भी शामिल हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से जिस तरह मुख्यमंत्री के नजदीकी माने जाने वाले राजस्थान बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने अजमेर की राजनीति में रूचि लेना शुरू किया है, स्थानीय राजनीति गर्मा गई है। राठौड़ को अहम पद मिलना तय है और राज्य मंत्री के रूप में एडीए सदर का पद भी हाे सकता है।

पुष्कर के नांद गांव के मूल निवासी धर्मेंद्र राठौड़ एडीए सदर पद के जरिये दो विधानसभा क्षेत्रों में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर सकते हैं, जिसमें पुष्कर और अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस तरह अब अजमेर में कांग्रेस की दृष्टि से सुरेश टांक और धर्मेंद्र राठौड़ सहित राकेश पारीक अहम नाम है। पारीक विशुद्ध रूप से पायलट गुट के हैं वहीं राठौड़ गहलोत के नजदीकी हैं।

अजमेर काे प्रतिनिधित्व नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अरविंद यादव ने मंत्रिमंडल पुनर्गठन में अजमेर की उपेक्षा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आती है अजमेर से सौतेला व्यवहार किया जाता है। ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रूप से अजमेर का देश भर में विशिष्ट स्थान है, लेकिन विडंबना है कि बीते तीन साल में सीएम गहलोत ने एक बार भी अजमेर की सुध नहीं ली। अब सरकार में अजमेर को प्रतिनिधित्व से दूर रखकर गहलोत ने यह साबित कर दिया है कि यहां भाजपा को मिले जनादेश की वजह से वे प्रतिशोध की भावना रखते हुए अजमेर को उपेक्षित रखना चाहते हैं।

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