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विधानसभा में कश्मीरी हिंदुओं को मिल सकता है आरक्षण, 5 सांसदों को दिल्ली बुलाया गया

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब केंद्र चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। ऐसे में खबरें आ रही हैं कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी हिंदुओं, अनुसूचित जनजातियों और गुलाम कश्मीर से आए नागरिकों को भी आरक्षण मिल सकता है। जम्मू कश्मीर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में लगे परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट का एक प्रारूप तैयार कर लिया है। वहीं इस प्रारूप पर चर्चा के लिए आयोग ने 20 दिसंबर को प्रदेश के पांचों सांसदों को नई दिल्ली बुलाया है। बता दें कि चर्चा के लिए बुलाए गए सभी सांसद आयोग के सदस्य भी हैं। इसमें नेशनल कांफ्रेंस के तीनों सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, मोहम्मद अकबर लोन और भाजपा के दोनों सांसद जुगल किशोर शर्मा और डॉ. जितेंद्र सिंह शामिल हैं।

अनुसूचित जातियों के लिए 7 सीटें आरक्षित थीं
बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटा दिया था। वहीं केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा में सिर्फ अनुसूचित जातियों के लिए 7 सीटें आरक्षित थीं। बताया गया कि ये सभी सीटें जम्मू संभाग में थीं। वहीं कश्मीरी हिंदुओं, गुलाम कश्मीर से आए नागरिकों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं थी। लेकिन अब कश्मीरी हिंदुओं और गुलाम कश्मीर के नागरिक कुछ सीटों को उनके लिए आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं। कश्मीरी हिंदू लोकसभा में भी उनके लिए सीट आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट का प्रारूप तैयार कर लिया है। इस रिपोर्ट के तहत कश्मीरी हिंदुओं के लिए सिक्किम में बौद्ध लामाओं के लिए आरक्षित सीट की तरह ही एक फ्लोटिंग विधानसभा क्षेत्र तैयार किया जा सकता है। बता दें कि फ्लोटिंग विधानसभा क्षेत्र वह होता है, जिसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। बता दें कि कश्मीर हिंदू 1989 के बाद कश्मीर में आतंकी हिंसा के चलते पलायन कर देश के विभिन्न हिस्सों में बस गए थे, इसलिए वह वहां से भी उस क्षेत्र के लिए वोटिंग कर सकते हैं।

 

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