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लखीमपुर हिंसा कांड: सोच समझकर रची गई थी किसानों की हत्या की साजिश, आरोपियों पर बढ़ीं धाराएं

लखनऊ। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आन्दोलन के दौरान किसानों को गाड़ी से कुचलने के हाई प्रोफाइल लखीमपुर तिकुनिया हिंसा कांड में तीन महीने बाद बड़ा खुलासा सामने आया है। जांच टीम ने मामले में नई धाराएं बढ़ाते हुए मामले को दुर्घटना का नहीं बल्कि सोची समझी हत्या की साजिश बताया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक एसआईटी एक्सीडेंटल केस के साथ ही विकल्प के रूप में हत्या की धाराओं के साथ जांच कर रही थी, जबकि सोमवार को एसआईटी से जुडे़ मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने साफ कर दिया कि बारीकी से जांच करने पर यह स्पष्ट हुआ है,

कि लापरवाही और उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए मृत्यु कारित करने का दुघर्टना मामला नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने हत्या करने और हत्या के प्रयत्न के साथ ही अंग भंग करने की साजिश का साफ-साफ मामला है।

बताया गया कि केस को परिवर्तन करते हुए हत्या और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की धाराएं लगाई जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके साथ ही विवेचक ने अपनी रिपोर्ट देते हुए साफ किया कि एक्सीडेंटल केस से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है,

इसलिए जेल में बंद आरोपियों पर से धारा 279, 337, 338, 304 ए की धाराएं हटाई जा रही हैं और एकराय होकर जानलेवा हमला करने और अंग भंग करने की धाराएं बढ़ाई जाती हैं, जिनमें 120बी, 307, 34, 326 आईपीसी की धाराएं बढ़ाई गई हैं।

उल्लेखनीय है कि इस मामले में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाया गया है। फिलवक्त वह जेल में बंद हैं। जांच अभी जारी है।

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