सीएम की घोषणा पर अमल:निजी शिक्षण संस्थानों पर नियंत्रण के लिए बनेगा नियामक प्राधिकरण, प्रारूप का सात दिन में रिव्यू करेगी कमेटी
जयपुर प्रदेश में निजी शिक्षण संस्थानाें और कोचिंग संस्थाओं की फीस से लेकर अन्य नियंत्रण के लिए सरकार राजस्थान शिक्षा नियामक प्राधिकरण बनाने जा रही है। इसके प्रारूप का रिव्यू करने के लिए सरकार ने विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई है, जो 7 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
कमेटी में लाॅ यूनिवर्सिटी के कुलपति डाॅ. देवस्वरूप के अलावा स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव, मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर संजय लाेढ़ा, आईडीएस के प्रोफेसर शोभिता राजागाेपाल, शिक्षा विभाग से लाॅ के एसाे. प्रोफेसर हेम बारी और उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डाॅ. फिरोज अख्तर काे शामिल किया गया है। दरअसल, सीएम अशोक गहलोत ने 2 नवंबर काे इस प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी।
इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने जो प्रपोजल बनाकर भेजा था, उसमें यूनिवर्सिटीज के पाठ्यक्रम डिजाइन करने से लेकर निजी यूनिवर्सिटीज में शैक्षणिक, प्रशासनिक, तकनीकि कर्मचारियाें के लिए एकल बिंदू भर्ती निकाय, गुणवत्ता का आंकलन करने, संस्थानाें काे रैंकिंग देने, अगले 15 साल की विकास याेजना बताने, सतत मूल्यांकन करने और परीक्षा सहित अन्य कार्याें के लिए 5 संस्थाएं बनाने का भी जिक्र किया है।
राजस्थान में पहले भी हो चुकी नियंत्रण बोर्ड बनाने की कोशिशें
प्रदेश में पहली बार इस तरह की अथॉरिटी का गठन नहीं हो रहा। पिछली भाजपा सरकार भी ऐसा ही मसौदा लेकर आई थी। इसके अलावा हिमाचल और एमपी सहित अन्य राज्याें में भी ऐसा बाेर्ड बनाने पर काम हुआ था, लेकिन वहां मामला काेर्ट में पहुंचा। इसके बाद राजस्थान सरकार भी विधेयक नहीं ला पाई।
काेटा, जयपुर सहित अन्य जगह छात्राें के साथ हुई कई घटनाओं और काेचिंग संस्थानाें से जुड़े मामलाें की खबराें पर काेर्ट ने संज्ञान लेकर जवाब मांगा था। फिर सरकार ने भी एक नियंत्रण बाेर्ड बनाने की बात कही थी। इसी बाेर्ड के गठन के लिए तैयार प्रारूप का रिव्यू करने के लिए कमेटी बनाई है। हम सभी तथ्याें काे ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञाें की राय लेकर 7 दिन में रिपोर्ट तैयार करके राज्य सरकार काे साैंपेंगे। -डाॅ. देवस्वरूप, कुलपति लाॅ यूनिवर्सिटी