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प्रणय का विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचना पदक से कम नहीं

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय के लिए विश्व चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल में जगह बनाना सामान्य परिस्थितियों में ज्यादा मायने नहीं रखता, लेकिन पिछले तीन वर्षों में वह जिन स्थितियों से गुजरे हैं उसे देखते हुए यह उनके लिए पदक से कम नहीं है। मुश्किल परिस्थिति से लड़ते हुए भी उन्होंने अपने खेल को जारी रखा है।

प्रणय एक साथ दो जंग लड़ रहे थे। एक कोर्ट पर प्रतिद्वंद्वी से और दूसरा अपने शरीर से। विश्व चैंपियनशिप 2018 के दौरान पता चला कि विश्व के पूर्व नंबर आठ खिलाड़ी प्रणय गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (पेट से जुड़ी एक बीमारी) से पीडि़त हैं। उन्हें इस बीमारी से पार पाने में काफी समय लगा जिसका असर उनके अभ्यास और प्रदर्शन पर पड़ा। वह अभी इससे उबरे ही थे कि नवंबर 2020 में वह कोरोना वायरस की चपेट में आ गए और फिर वह इस बीमारी के बाद के लक्षणों से जूझते रहे। इससे उनका खेल प्रभावित हुआ और उन्हें वैकल्पिक उपचार का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा

प्रणय ने कहा, ‘कोविड के बाद मेरे फेफड़ों में सूजन आ गई और मुझे लगातार खांसी हो रही थी। आप ऐसे में हर चीज को नजरअंदाज नहीं कर सकते जैसे कि मांसपेशियों से जुड़ी कोई चोट। मैंने लगातार दर्द झेला है। फेफड़े में दर्द से परेशानी होती थी। फेफड़े में सूजन थी लेकिन दवा की सिफारिश नहीं की गई थी, केवल प्राकृतिक उपचार ही रास्ता था। इसलिए मैंने सांस संबंधी व्यायाम किए, अपने आहार में बदलाव किए। मैं पेट की समस्या के कारण पहले से ही ऐसा कर रहा था। इसका असर मेरे प्रदर्शन में देखने को मिला

उन्होंने कहा, ‘मेरी योजना इंडिया ओपन और सैयद मोदी इंटरनेशनल में खेलने की है लेकिन मेरा मुख्य लक्ष्य पेरिस ओलिंपिक 2024 है।’

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