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प्रिंसिपल व अस्पताल अधीक्षक बोले-डाॅक्टराें व नर्सिंग स्टाफ की मेहनत से ही नंबर वन बना एसके हाॅस्पिटल

सीकर एसके हाॅस्पिटल के नेशनल क्वालिटी सर्टिफाइड हाेने की अफसराें ने प्रयास शेयर किए हैं। सफलता दो साल की मेहनत का परिणाम बताया। हाॅस्पिटल काे नेशनल सर्टिफाइड कराने के लिए डाॅक्टराें ने मरीजाें की स्ट्रेचर खींची। नर्सिंग स्टाफ ने हाॅस्पिटल भवन की दीवाराें काे साफ किया। जनप्रतिनिधियाें की सकारात्मक साेच ने भी हाॅस्पिटल काे देशभर में पहचान दिलाई। क्याेंकि हमारे मुंह से मांग निकले, इससे पहले जनप्रतिनिधियाें ने उसे यस कर दिया। अस्पताल में अब एेसी दर्दनाक तस्वीरें नहीं मिलेगी, जिसमें कुत्ता मुंह का गर्भनाल/ प्लेसेंटा दबाए फिरे। मंगलवार काे मीडिया से बातचीत में प्रिंसिपल डाॅ. केके वर्मा अाैर अधीक्षक महेंद्र खीचड़ ने ये बात कही। प्रिंसिपल डाॅ. वर्मा ने बताया कि 78 साल में पहला माैका है कि एसके हाॅस्पिटल का राष्ट्रीय गुणवत्ता अाश्वासन प्रमाणीकरण स्कीम में चयन हुअा है। एसके राजस्थान का एकमात्र अस्पताल है। बजट की कमी के बावजूद हाॅस्पिटल की साफ-सफाई काे भी नियमित बनाए रखा। अधीक्षक ने बताया कि 17 से 19 नवंबर तक हुए असेसमेंट से पहले विभागाध्यक्षाें काे अलग-अलग जिम्मेदारी साैंपी। हर वार्ड के अांकड़ाें का मासिक संकलन किया। खामियां को दुरूस्त किया। अधीक्षक डाॅ. खीचड़ ने बताया कि कायाकल्प स्कीम में हाॅस्पिटल बेहतर प्रदर्शन कर चुका है। हाॅस्पिटल के सर्टिफाइड हाेने वाले हर साल 10 हजार रुपए प्राेत्साहन राशि मिलेगी। यह राशि तीन साल तक मिलेगी। प्रेस वार्ता में डाॅ. बीएल गढ़वाल, डाॅ. बीएल राड़, डाॅ. जगदीश सीगड़, डाॅ. एम सागर, डाॅ. कैलाश जाट, डाॅ. सावित्री, डाॅ. किरण अराेड़ा, नरेश लमाेरिया माैजूद रहे।

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