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उत्‍तराखंड में टिकट पर कांग्रेसी क्षत्रपों में नहीं हो सकेगी खींचतान

देहरादून। कांग्रेस के टिकटों को लेकर प्रदेश में अब पार्टी क्षत्रपों के बीच खींचतान नहीं होगी। टिकटों के वितरण का दायित्व पार्टी हाईकमान को सौंपे जाने के बाद अब गेंद प्रदेश संगठन के पाले से बाहर चली गई है। टिकट को लेकर राज्य में पैदा होने वाले असंतोष को थामने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही पार्टी प्रत्याशियों की पहली सूची अगले माह जनवरी के पहले हफ्ते में जारी की जा सकती है।

उत्तराखंड को लेकर कांग्रेस हाईकमान बेहद सतर्क है। फिलहाल पूरा जोर दिग्गजों में खींचतान को काबू कर चुनाव में एकजुट प्रदर्शन पर दिया जा रहा है। इस कड़ी में पार्टी ने टिकटों के संवेदनशील मामले में प्रदेश चुनाव समिति के सिर से बड़ा बोझ हटा दिया है। प्रचलित व्यवस्था के अनुसार जिला इकाइयों के माध्यम से आने वाले टिकट के दावेदारों के आवेदनों की छंटाई का जिम्मा प्रदेश चुनाव समिति को संभालना था। अब तक 70 विधानसभा सीटों पर टिकट के करीब 550 दावेदार सामने आ चुके हैं। टिकट के जिन दावों में गंभीरता है उनकी संख्या 250 के आसपास बताई जा रही है।

अहम हो गई स्क्रीनिंग कमेटी की भूमिका

प्रदेश चुनाव समिति को प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजना था। समिति बीते रोज प्रस्ताव पारित कर टिकट पर फैसला लेने का जिम्मा केंद्रीय नेतृत्व को सौंप चुकी है। इस फैसले के बाद हाईकमान की ओर से नियुक्त प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। अब टिकट को लेकर सभी आवेदनों की छंटाई से लेकर पैनल तैयार करने का जिम्मा स्क्रीनिंग कमेटी को निभाना है। पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडेय की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग कमेटी इसी माह उत्तराखंड का पांच दिनी दौरा कर टिकट को लेकर फीडबैक ले चुकी है। टिकट के दावेदारों का साक्षात्कार लेने के साथ ही जमीनी स्तर पर फीडबैक भी समिति ले चुकी है।

पांच से सात जनवरी तक घोषित हो सकती है पहली सूची

माना जा रहा है कि ऐसी सीटों जिनमें प्रत्याशियों को लेकर असमंजस की स्थिति नहीं है और पार्टी को खुद को मजबूत स्थिति में आंक रही है, उनके टिकट जल्द तय किए जाएंगे। ऐसी सीटों की संख्या 30 से लेकर 35 तक बताई जा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के मुताबिक इन सीटों पर प्रत्याशियों की सूची पांच से सात जनवरी के बीच घोषित की जा सकती है। पार्टी इस रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। प्रदेश चुनाव समिति ने तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है

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