ऑक्सीजन की कमी से जिले में नहीं होगी मौत:22 प्लांट के साथ 10 हजार लीटर की क्षमता का पहला लिक्विड ऑक्सीजन टैंक भी हो
नागौर मेडिकल ऑक्सीजन के अब जिले में चारों स्रोत मौजूद रहेंगे। इनमें सिलेंडर, कंसंट्रेटर और ऑक्सीजन प्लांट के बाद अब लिक्विड ऑक्सीजन के टैंक की भी जिला मुख्यालय पर मौजूदगी रहेगी। इसके चलते अब ऑक्सीजन की कमी के चलते नागौर जिले में कभी भी मौत नहीं होगी। जिले में ऑक्सीजन के कुल 22 प्लांट के अलावा 10 हजार की लीटर की क्षमता वाला पहला लिक्विड ऑक्सीजन टैंक भी अब यहीं स्थापित किया जा रहा है। यह टैंक जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल परिसर में स्थापित होगा। मतलब इस टैंक में इतना लिक्विड होगा कि जिससे एक हजार बड़े सिलेंडरों को भरा जा सकेगा।
नया टैंक जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल परिसर में होगा स्थापित, वर्तमान में जिले में 1849 कंसंट्रेटर हैं ऑक्सीजन प्लांट के अलावा जिले में 1849 कंसंट्रेटर हैं। 1763 आक्सीजन सिलेंडर हैं। इनमें डी टाइप के 1064 तथा बी टाइप के 699 सिलेंडर है। ऐसे में ऑक्सीजन का जिले में पूरा बैंक बना हुआ है। जल्द किया जाएगा स्थापित लिक्विड ऑक्सीजन के टैंक की स्थापना का सिविल वर्क सोमवार से शुरू हो जाएगा। डाॅ. महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन हाॅस्पिटल
ऑक्सीजन के 22 प्लांट स्वीकृत हुए हैं। जो 1438 सिलेंडर प्रतिदिन उत्पादन करने की क्षमता रखते है। वर्तमान में कार्यशील प्लांट 19 हैं, जिनकी क्षमता 1221 सिलेंडर प्रतिदिन है। मतलब ये अभी 1221 सिलेंडर आक्सीजन हर दिन पैदा कर रहे हैं। वहीं शेष कार्यशील हैं।
डाॅ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, स्वास्थ्य विभाग नागौर
1. ऑक्सीजन सिलेंडर कंप्रेस्ड गैस ऑक्सीजन सिलेंडर में स्टोर होती है। मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट से ऑक्सीजन गैस इन सिलेंडर में भरते हैं।
2. ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर बिजली या बैटरी से चलते वाला उपकरण है। पीएसए यानी प्रेशर स्विंग एब्जार्सन तकनीक का इस्तेमाल होता है।
3. ऑक्सीजन प्लांट प्लांट ऑक्सीजन बनाने में क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन या प्रेशर स्विंग एब्जार्सन (पीएसए) तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।
4. लिक्विड ऑक्सीजन टैंक ऑक्सीजन का एक स्रोत लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित करना होता है। सेंटर पाइप सिस्टम में ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है।