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सूची संशोधित कर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने हरीश रावत और प्रीतम सिंह के खेमे में साधा संतुलन

 हल्द्वानी : उत्तराखंड के अब तक के चुनावों में ऐसा पहली बार दिख रहा कि नामांकन की अंतिम तिथि से एक दिन पूर्व तक प्रत्याशियों का नाम ही तय न हो। भाजपा भी इसमें पिछड़ी लेकिन कांग्रेस में दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद उभरे असंतोष ने अंदरूनी कलह को जगजाहिर कर दिया। चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष व पूर्व सीएम हरीश रावत को इसमें ज्यादा किरकिरी झेलनी पड़ी है। हालांकि प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष ने हाईकमान और प्रत्याशी दोनों तरफ संवाद कर कुछ हद तक बात संभाल ली है। बावजूद इसके यह राजनीतिक आपदा नियंत्रण कितना कारगर होगा यह नामांकन से लेकर मतदान तक भी नजर आता रहेगा।

विधानसभा चुनाव की तैयारियों को कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन से पूर्व ठीक-ठाक धार दी थी। फिर पहली, दूसरी और संशोधित लिस्ट जारी होते-होते स्थितियां लगातार बदलने लगी। कांग्रेस ने 23 जनवरी की रात 53 और फिर 24 जनवरी को प्रदेश की 11 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए। पहली सूची ने गंगोलीहाट, बागेश्वर व कपकोट में विद्रोह की स्थिति पैदा की। वहीं दूसरी सूची ने रामनगर, कालाढूंगी, लालकुआं में पार्टी को असहज कर दिया। लालकुआं में संध्या डालाकोटी को टिकट दिए जाने पर पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने पार्टी को अलविदा कह दिया और हरेंद्र बोरा निर्दलीय लडऩे की तैयार करने लगे। वहीं कालाढूंगी सीट पर प्रमुख दावेदार महेश शर्मा की जगह पूर्व सांसद डा. महेंद्र पाल को उतार दिया गया। हालांकि महेश शांत रहकर और हाईकमान से उम्मीद लगाए बैठे रहे। सबसे ज्यादा टकराव पूर्व सीएम हरीश रावत की ओर से अपने लिए चुनी गई रामनगर सीट पर देखने को मिला। यहां कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत रावत ने खुद को नाराज दावेदारों में माना तो समर्थक उनके लिए लामबंद हो गए।

इन तीन सीटों पर असंतोष की हवा शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची तो प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी सक्रियता बढ़ा दी। नाराज दावेदारों के साथ ही हाईकमान के बीच भी सेतु बनकर आपदा नियंत्रण की मशक्कत हुई। आखिरकार 26 जनवरी को रात फिर एक संशोधित लिस्ट जारी हुई। डोईवाला, ज्वालापुर के अलावा कुमाऊं की लालकुआं, कालाढूंगी व रामनगर सीट पर भी प्रत्याशी बदल गए। इस सूची में भी हालांकि रणजीत रावत को अपने मनमुताबिक रामनगर सीट नहीं मिली। उन्हें सल्ट भेज दिया गया। दूसरी ओर हरदा खुद लालकुआं से प्रत्याशी बन गए। कालाढूंगी में अहम बदलाव यह रहा कि महेश शर्मा को पहली बार पार्टी की ओर से चुनाव लडऩे का मौका मिल गया। महेंद्र पाल को रामनगर भेज दिया गया। कांग्रेस की इस सारी सूची वाली कवायद में सभी जगहों पर पार्टी के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ गया।

कांग्रेस की संशोधित सूची के बाद हरदा की लालकुआं सीट पर दो नाराज दावेदार हरीश दुर्गापाल व हरेंद्र बोरा अब उनके साथ हो लिए हैं। संध्या ने टिकट हाथ से फिसलने के बाद महापंचायत जुटा अपनी ताकत दिखाई। रामनगर में हरदा खेमे के असंतुष्ट अब शांत हैं, मगर रणजीत खेमे में नाराजगी बरकरार है। पूर्व सीएम हरदा हालांकि प्रत्याशियों की घोषणा होने से पूर्व ही संकेत दे चुके थे कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिल पाएगा उन्हें सरकार बनने पर कहीं न कहीं एडजस्ट करेंगे। फिलहाल सरकार बनना आगे की बात है, लेकिन असंतुष्टों को यह झुनझुना देना मजबूरी भी है और जरूरी भी।

 

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