Fri. Nov 22nd, 2024

ओलिंपिक पदक जीतने के बाद अब विश्व कप जीतना पीआर श्रीजेश का लक्ष्य

नई दिल्ली,  भारतीय हाकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश का सपना ओलिंपिक पदक का रंग बदलना और विश्व कप जीतना है और भविष्य में वह खुद को कोच की भूमिका में भी देखते हैं। श्रीजेश को सोमवार को 2021 में उनके प्रदर्शन के लिए साल का सर्वश्रेष्ठ विश्व खेल एथलीट चुना गया था।

उन्होंने कहा, ‘भारतीय हाकी ही नहीं बल्कि विश्व हाकी के लिए यह पुरस्कार बहुत खास है। मुझे एक खिलाड़ी के तौर पर दुनिया में पहचान मिली है। एफआइएच ने एक भारतीय खिलाड़ी को नामित किया जो बहुत बड़ी बात है।’

उन्होंने कहा, ‘भारतीय दर्शक मुझसे प्यार करते हैं और वोटिंग में कभी पीछे नहीं रहते। मेरा काम एक खिलाड़ी के तौर पर देश का नाम रोशन करना है। प्रशंसकों ने अपना प्यार मेरे और हाकी के लिए वोट के जरिये दिखाया है। भारत से ही नहीं दुनिया भर से वोट मिले हैं।’

जब श्रीजेश से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में भारतीय हाकी टीम का कोच बनना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘यह कठिन सवाल है, लेकिन मैं कोच बनना चाहता हूं। इस फैसले से पहले मुझे अपने परिवार से बात करनी होगी। मैं लंबे समय से उनके साथ समय नहीं बिता सका हूं, लेकिन आप मुझे उस जर्सी में जरूर देखेंगे। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन नीली जर्सी में खेलूंगा। पुरस्कार, नाम, पदक समय के साथ होता गया। मेरा ध्यान प्रदर्शन और मेहनत पर रहा और मैंने गोलकीपिंग का स्तर बेहतर करने का प्रयास किया।’

केरल के इस 33 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘जब मैंने खेलना शुरू किया था तब मैने शंकर लक्ष्मण का बहुत नाम सुना था। वह महान गोलकीपर थे और मैं भारतीय हाकी के इतिहास में उसी तरह से अपना नाम दर्ज कराना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि जब भी संन्यास लूं तो भारत के महानतम गोलकीपरों में मेरा नाम हो।’

टोक्यो ओलिंपिक में 41 साल का इंतजार खत्म करके भारतीय टीम के कांस्य पदक जीतने के बाद श्रीजेश छह महीने बाद हाकी के मैदान पर लौट रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं दक्षिण अफ्रीका में आगामी प्रो लीग खेलने को लेकर काफी उत्साहित हूं। मैं हाकी से दूर नहीं गया था और टीम के साथ ही था लिहाजा मुझे खुद को ढालने में समय नहीं लगेगा।’ इस साल भारतीय टीम को कई टूर्नामेंट खेलने हैं जिनमें राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल भी शामिल हैं। श्रीजेश ने कहा कि कोरोना काल के बीच शारीरिक और मानसिक तौर पर सकारात्मक बने रहना काफी जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *