पंतनगर। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के उद्यान अनुसंधान केंद्र पत्थरचट्टा में आईसीएआर की ओर से अखिल भारतीय समन्वित फल शोध परियोजना संचालित हो रही है, जिसमें प्रदेश के किसानों व बागवानों को उन्नत तकनीकों से बाग का प्रबंधन और फलों के निर्यात के लिए इंडिया गुड एग्रीकल्चर प्रेक्टिसेज फॉर फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स (इंडिया गेप) के तहत प्रशिक्षण देकर नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन से प्रमाण पत्र हासिल करने संबंधी जानकारी मुहैया कराई जा रही है।
उद्यान अनुसंधान केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि प्रदेश के 46 प्रगतिशील बागवानों ने प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एके सिंह ने बताया कि यदि बागवान अपने उत्पादों को निर्यात करना चाहते हैं तो फल उत्पादन के दौरान देखना होगा कि उच्च गुणवत्तायुक्त, स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित, वातावरण को हानि न पहुंचाने वाला हो। साथ ही बागों में कार्यरत श्रमिकों की संपूर्ण सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा।
इन सभी नियमों को ध्यान में रखकर इंडिया गेप को अपनाते हैं, तो प्रमाणीकरण के बाद वे अपने उत्पाद निर्यात कर सकते हैं। इस दौरान विभागाध्यक्ष उद्यान विज्ञान डॉ. डीसी डिमरी, डॉ. सुभाष चंद्रा, डॉ. केपी सिंह, डॉ. एसपीएस बेनीवाल, डॉ. एसके शर्मा व अन्य वैज्ञानिकों सहित जिला उद्यान अधिकारी ने बागवानी के प्रबंधन व तुड़ाई के बाद फल प्रबंधन के लिए उन्नत तकनीकों के बारे में बताया।
लाभप्रद साबित होगी जानकारी
पंतनगर। बागवान समूह के अध्यक्ष अरुण भक्कू, दीप बेलवाल, महेश चंद्र अग्रवाल व श्वेतांशु चतुर्वेदी आदि ने आशा व्यक्त की कि सभी बागवानों को फल उत्पादन के लिए विवि के वैज्ञानिकों की ओर से इंडिया गेप की जानकारी लाभप्रद सिद्ध होगी। उन्होंने प्रदेश के बागवानों का आह्रवान किया कि वे इससे जुड़कर फलोत्पादन कर देश विदेश में निर्यात करें।
– इंडिया गेप के तहत फलों कोे निर्यात के लिए बनाने के लिए बागवानों को समय की मांग के अनुसार, उन्नत और अच्छी कृषि पद्धति अपनानी होगी। बागवानों के लिए यह योजना उनकी आर्थिकी में कायाकल्प कर सकती है।
डॉ. अजीत सिंह नैन, निदेशक शोध- पंतनगर विवि।