Sun. May 19th, 2024

जंगली फलों से लेकर जड़ी बूटियां,बनेगीआर्थिकी का आधार , बेरीज की वृक्षों और झाड़ियों को लेकर हरदा ने कही बड़ी बात

अब से कुछ घंटे बाद मार्च माह की शुरुआत हो जाएगी ऐसे में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर सभी की नजर 10 फरवरी के दिन पर लगी हैं इन सबके बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरे पर है वे समय निकाल कर अक्सर सोशल मीडिया में उत्तराखंड राज्य की परिस्थितियों का अवलोकन करते हुए कुछ ना कुछ अपनी पोस्ट राज्य के लोगों के बीच साझा करते हैं ऐसी ही एक पोस्ट उन्होंने फिर जनता के बीच साझा करते हुए अपनी पोस्ट में लिखा उत्तराखंड में कई ऐसी बेरीज और जंगली फल पाए जाते हैं जिनकी प्रोसेसिंग कर उनको उपयोगी बनाया जा सकता है और आर्थिकी का आधार बनाया जा सकता है, काफल, घिंगारू हिंसालू, तिमरू आदि कई ऐसी बेरीज हैं जिनका उपयोग हम अपनी स्थानीय आर्थिकी के संवर्धन के लिए कर सकते हैं जिनमें किनगोड़ा भी सम्मिलित है, किनगोड़े का रस हेपेटाइटिस बी के मरीज के लिए रामबाण औषधि है। घिंगारू, अल्सर की बीमारी और आयरन की कमी को दूर करने में बहुत सहायक है। तिमरू और लेबेरी, कैंसर आदि रोगों के लिए प्रतिरोधक का काम करती हैं तो हर चीज की अपनी मेडिसिनल वैल्यूज़ भी जुड़ी हुई हैं, जंगलों के स्वरूप को पुनर्स्थापित करने के लिए इन बेरीज की वृक्षों और झाड़ियों का महत्वपूर्ण योगदान है जिसमें मेहलू भी सम्मिलित है। मैंने अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में वन विभाग को यह आदेश दिए थे कि वो इस प्रकार के जो बहु उपयोगी झाड़ियां और वृक्ष हैं उनका रोपण प्रारंभ करें ताकि वनों की स्वभाविकता को फिर से पुनर्स्थापित किया जा सके।उत्तराखंड के वन एकांगी वनों में परिवर्तित हो जा रहे हैं। इस तरीके की झाड़ियां उन वनों की हरियाली को लौटाने और चौड़ी वृक्षों की पौंध के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। बात छोटी है, मगर महत्वपूर्ण है।
इस पोस्ट को लिखकर हरीश रावत ने एक बार फिर उत्तराखंड में जैव विविधता संरक्षण की बात करते हुए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों की वानिकी संबंधित नब्ज पकड़ने की कोशिश की जिससे जहां वन संवर्धन को फायदा होगा वहां वन्य जीव जंतु संघर्ष को भी प्रभावी रूप से रोका जा सकेगा जो भी हो हरदा की यह पहल उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थिति को वानिकी से संरक्षित करने में अहम योगदान देगी।।

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