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संस्कृत साहित्य लेखन पर पद्मश्री प्रो. अभिराज ने दिए सुझाव

पिथौरागढ़। एलएसएम महाविद्यालय के संस्कृत विभाग में कार्यरत डॉ. बबीता कांडपाल ने पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र से मुलाकात कर संस्कृत साहित्य लेखन में रुचि पर चर्चा की। प्रो. मिश्र रचित संस्कृत ग्रंथ मृगांकदूत पर भी चर्चा हुई।

मुलाकात के इस दौरान प्रो. मिश्र ने अपनी रचना मृगांकदूत की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि दूत काव्य में बालि द्वीप इंडोनेशिया से लेकर संपूर्ण भारत वर्ष की यात्रा का सटीक भौगोलिक, 50 से अधिक संस्कृत विद्वानों, लेखकों का संक्षिप्त वर्णन भी किया गया है। संस्कृत पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों का परिचय भी है। वात्सल्य रस से सिंचित ये ग्रंथ नवीन शोध कर्ताओं, पाठक, संस्कृत प्रेमियों के लिए काम का है। मिश्र ने बताया कि जल्द ही उनके संपूर्ण जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बन रही है। प्रो. मिश्र साहित्य जगत के प्रख्यात प्राप्त कवियों में से एक हैं। वर्ष 2021 में साहित्य जगत में अमूल्य योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे संस्कृत समेत हिंदी, भोजपुरी आदि भाषाओं में भी रचनाओं का संपादन करते हैं। संस्कृत महाकाव्य, नाटक, कथा, कविता, संदेश काव्य आदि सभी विधाओं में इनके लगभग 300 से ज्यादा ग्रंथ हैं। करीब 250 शोधकर्ता इनके व्यक्तित्व, रचनाओं पर शोध कार्य कर चुके हैं। उन्होंने महाविद्यालय परिवार की ओर से अमूल्य ज्ञान देने के लिए प्रो. मिश्र का आभार जताया।

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