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चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर, हरीश रावत ने प्रीतम सिंह के आरोपों पर कही ये बात

हल्द्वानी : पूर्व सीएम हरीश रावत  की एक फेसबुक पोस्ट ने कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हरदा ने कहा कि मुझसे कहा गया कि लालकुआं में सभी लोग सहमत हैं। मगर यहां आकर पता चला कि स्थिति ऐसी नहीं है। करीबियों से चर्चा कर नामांकन न करने का फैसला लिया। मगर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि ऐसा किया तो पार्टी की स्थिति बहुत खराब हो जाएगी। लिहाजा, न चाहते हुए भी मैंने नामांकन किया। हरदा ने कहा कि रामनगर मे चुनाव कार्यालय का चयन करने के साथ मुहूर्त निकाल नामांकन का समय और तारीख भी तय कर ली थी। लेकिन रास्ते में सूचना मिली कि अब लालकुआं से चुनाव लड़ूं। न चाहते हुए भी पार्टी के सामूहिक फैसले को मानना पड़ा।

पूर्व सीएम ने रविवार देर रात फेसबुक पोस्ट के जरिये कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी के सुझाव के बाद मैंने रामनगर से चुनाव लडऩे की इच्छा व्यक्त की थी। रामनगर मेरे लिए नया क्षेत्र नहीं था। 2017 में भी वहीं से लडऩा चाहता था। मगर तब मेेरे तत्कालीन सलाहकार रणजीत सिंह रावत ने कहा कि वह केवल रामनगर से लड़ेंगे। सल्ट से नहीं। इसके बाद चुनाव लडऩे किच्छा गया था। वहीं, इस बार पार्टी के कहने पर रामनगर से चुनाव लडऩे का फैसला लिया। लेकिन रास्ते ही सूचना देकर बताया गया कि सामूहिक फैसला अब लालकुआं से लड़ाने का आ गया है। वहीं, लालकुआं में भाजपा के डा. मोहन सिंह बिष्ट ने हरीश रावत को भारी मतों के अंतर से हरा दिया।

हरीश रावत ने नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी की तथाकथित मांग करने वाले व्यक्ति को पदाधिकारी बनाने का फैसला किसका था। इसकी जांच होनी चाहिए। वह व्यक्ति कभी भी राजनीतिक तौर पर मेरे नजदीक नहीं रहा। उसे राजनीतिक तौर पर उपकृत करने वाले लोगों को सब जानते हैं। किसने उसे सचिव फिर महासचिव बनाया। उसके विवादास्पद मूर्खतापूर्ण बयान से मचे हल्ले-गुल्ले बाद भी हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा का प्रभारी बनाने में किसका हाथ रहा है। यह अपने आप में जांच का विषय है

पूर्व सीएम ने कहा कि सभी को मुझ पर गुस्सा निकालने और खरी-खोटी सुनाने का हक है। हर उम्मीदवार की हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले चुका हूं। हरदा ने कहा कि प्रीतम सिंह जी (Pritam Singh)ने एक बहुत सटीक बात कही कि आप जब तक किसी क्षेत्र में पांच साल काम नहीं करेंगे तो वहां चुनाव लडऩे नहीं पहुंचना चाहिए। फसल कोई बोये और काटने कोई और पहुंच जाए या उचित नहीं है। क्योंकि, मैं तो बार-बार कह रहा था कि सभी क्षेत्रों में प्रचार करूंगा। लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में कहा गया चुनाव लड़ो। वरना गलत संदेश जाएगा

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