विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी हार, लेकिन उत्तराखंड के दो जिले बने कांग्रेस की नई उम्मीद
देहरादून। : उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को बड़ी पराजय तो मिली, लेकिन 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद भी बंधी है।
विशेष तौर पर हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जिलों की सात विधानसभा सीटें भाजपा से छीनकर कांग्रेस ने चौंकाया है। कांग्रेस में भरोसा जगा है कि उसकी यह कामयाबी लोकसभा चुनाव में भी असर दिखाएगी
कांग्रेस ने 2017 की तुलना में इस विधानसभा चुनाव में सीट संख्या 11 से बढ़ाकर 19 की है, उसमें बड़ी भूमिका मैदानी जिलों हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर की है।
इन जिलों ने कांग्रेस की सीटों के आंकड़े में सात की वृद्धि की है। हरिद्वार जिले की कुल 11 सीटों में इस बार कांग्रेस के खाते में पांच आई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में यह संख्या केवल तीन तक सीमित थी। हरिद्वार में पार्टी का मत प्रतिशत भी बढ़ा है
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की कुल 14 विधानसभा सीटों में हरिद्वार जिले की भूमिका निर्णायक रहती है। 2017 में कांग्रेस ही हालत खराब रहने का परिणाम दो साल बाद, यानी 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी दिखाई दिया था। कांग्रेस इस संसदीय सीट को हासिल करने में नाकाम रही थी।
2022 ने कांग्रेस को दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नई राह दिखा दी है। पिछले चुनाव में हरिद्वार जिले में भाजपा ने आठ सीटें जीती थीं, अब यह संख्या तीन तक सिमट गई है
इस बार कांग्रेस के अतिरिक्त बसपा ने भी तीन सीटों पर कब्जा जमाया है। इनमें से एक सीट कांग्रेस के कब्जे वाली भी रही है। इस संसदीय क्षेत्र की शेष तीन सीट देहरादून जिले में हैं। इन सीटों पर भाजपा ने कब्जा भले ही बरकरार रखा, लेकिन कांग्रेस ने मत प्रतिशत में बड़ी वृद्धि की है।
कांग्रेस के सुकून की एक बड़ी वजह गैर भाजपा दल के रूप में बसपा को मिली कामयाबी भी है। पार्टी उम्मीद कर रही है कि अगले लोकसभा चुनाव तक उसकी स्थिति और मजबूत होगी। गैर भाजपा मतों में उसकी हिस्सेदारी बढ़ सकेगी।
ऊधमसिंहनगर जिले में चार सीटों की वृद्धि
ऊधमसिंहनगर जिला नैनीताल संसदीय सीट के अंतर्गत है। कुल 14 विधानसभा सीटों में नौ सीटें ऊधमसिंह नगर जिले में हैं। जिले की पांच विधानसभा सीट पर कांग्रेस काबिज होने में सफल हुई है। 2017 में कांग्रेस को जिले में सिर्फ एक सीट प्राप्त हुई थी। 2022 में कांग्रेस ने चार और सीट हासिल की हैं।
वहीं भाजपा की जिले में सीटों की संख्या आठ से घटकर चार रह गई है। नैनीताल संसदीय सीट की शेष पांच सीटें नैनीताल जिले की हैं। इनमें भाजपा ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है, लेकिन तुलनात्मक रूप से मत प्रतिशत कांग्रेस ने बढ़ाया है।
लोकसभा चुनाव को लेकर बढ़ा है हौसला
कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मिली निराशा के बीच इसे आशा के रूप में भी देख रही है। लोकसभा चुनाव के लिए उसका मनोबल बढ़ा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री संगठन मथुरादत्त जोशी ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव को पूरी मजबूती और ठोस रणनीति के साथ लड़ा।
भाजपा को कामयाबी भले ही मिली, लेकिन कांग्रेस ने भी अपना जनाधार बढ़ाया है। अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने प्रदर्शन में और सुधार कर सफलता की नई इबारत लिखेगी