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चुनौतियों से ही बनती हैं संभावनाएं: प्रो.सेमवाल

श्रीनगर गढ़वाल: बिड़ला परिसर राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि यह राज्य विभिन्न संभावनाओं से भी परिपूर्ण है। नवनिर्वाचित सरकार के सामने अनेक चुनौतियां भी हैं,लेकिन चुनौतियां ही संभावनाएं भी बनती हैं।

उत्तराखंड की नवनिर्वाचित सरकार के लिए आने वाली चुनौतियां और संभावनाएं विषय पर बिड़ला परिसर राजनीति विज्ञान विभाग में आयोजित परिचर्चा में प्रो. सेमवाल ने कहा कि प्रदेश में जैव विविधता का भी एक बड़ा क्षेत्र है। जिसमें युवाओं के लिए स्वरोजगार की अपार संभावनाएं भी हैं। शिक्षा,स्वास्थ्य, रोजगार और पलायन पर सरकार को संवेदनशील होकर नीतियां भी बनानी होंगी।

डा. नरेश कुमार ने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता विकास के लिए एक चुनौती भी बनती है। राजनीति अस्थिरता से निपटने के लिए सरकार और राजनीतिक दलों को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। राजनीति विज्ञान विभाग के पीजी छात्र दीपक ने कहा कि नदियों के विशाल तंत्र वाले उत्तराखंड के गांव पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जो सरकार के सम्मुख एक बड़ी चुनौती भी है। छात्रा अल्का ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का भारी अभाव और स्कूलों की बदहाल स्थिति प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या है। छात्रा कंचन ने कहा कि पहाड़ की खेती को बंदर भालू से बचाना सबसे बड़ी जरूरत है। अन्य वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं की कार्यस्थिति सुधारने के साथ ही उनके समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शीला, अमित, आशुतोष सहित अन्य छात्रों ने भी परिचर्चा में भाग लिया। सौरभ ने परिचर्चा का संचालन किया

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