काशीपुर। व्यावसायिक वाहनों के लिए अब जीपीएस सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है। बगैैर जीपीएस के वाहनों का पंजीकरण और फिटनेस आदि का काम नहीं हो सकेगा। परिवहन सचिव ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है।
उपसंभागीय परिवहन अधिकारी एके झा ने बताया कि विभाग ने सभी व्यावसायिक वाहनों में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य कर दिया है। वाहनों में जीपीएस इंस्टाल करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल तय की गई। टैक्सी, मैक्सी, निजी और रोडवेज बसों के साथ ही एंबुलेंस की गाड़ियों में भी जीपीएस सिस्टम लगाना होगा।
एआरटीओ ने बताया कि उत्तराखंड में करीब 16-17 कंपनियां जीपीएस सिस्टम लगाने का काम कर रही हैं। उत्तराखंड में डेढ़ लाख से अधिक वाहन जीपीएस के दायरे में आएंगे। इसे लेकर केंद्र सरकार ने तीन साल पहले ही आदेश दे दिए थे लेकिन कोरोना के कारण सभी वाहनों में जीपीएस नहीं लग पाए थे।
स्थिति में सुधार होने पर परिवहन विभाग ने अब नए सिरे से आदेश जारी किए हैं। दोपहिया और तीनपहिया वाहन ई-रिक्शा और टैंपो में जीपीएस सिस्टम के दायरे से बाहर रखे गए हैं। एआरटीओ झा ने बताया कि वाहन में लगी डिवाइस का सिम नंबर और चेसिस नंबर परिवहन विभाग के वाहन पोर्टल और वीएलटी पोर्टल पर दर्ज कराया जाएगा। वाहन से संबंधित पूरा डाटा स्टेट डाटा सेंटर के सर्वर में सुरक्षित रहेगा जिसके माध्यम से वाहनों की ट्रैकिंग हो सकेगी।
सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत अहम है। यात्री के पैनिक बटन दबाने, वाहन के गलत रूट पर जाने, हादसा होने पर जानकारी तत्काल डाटा सेंटर को मिल सकेगी। जरूरत पड़ने पर वाहन में सवार यात्रियों को मदद मिल सकेगी।
परिवहन सचिव की ओर से कॉमर्शियल वाहनों में जीपीएस सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है। अब बगैर जीपीएस सिस्टम के वाहनों का पंजीकरण और फिटनेस की कार्रवाई नहीं हो सकेगी।
एके झा, एआरटीओ काशीपुर।