उत्तराखंड जल विद्युत निगम की 304 मेगावाट की मनेरी भाली परियोजना द्वितीय चरण की हेड रेस टनल (एचआरटी) से ट्रीटमेंट के बाद भी पानी का रिसाव बंद नहीं हो पा रहा है। मंगलवार को शासन की ओर से गठित चार सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ टीम ने पानी के रिसाव के कारणों को जानने के लिए हेड रेस टनल का बारीकी से निरीक्षण किया।
2008 में बनकर तैयार हुई मनेरी भाली द्वितीय चरण परियोजना में जोशियाड़ा बैराज से धरासू पॉवर हाउस तक 16 किमी लंबी सुरंग बनाई गई है। परियोजना के शुरू होते ही इस सुरंग में कुछ जगह रिसाव की समस्या आई थी, तब इसकी मरम्मत कर परियोजना को चालू किया गया था। बीते साल 21 मई को धरासू पॉवर हाउस में 76-76 मेगावाट की चारों टरबाइनों से फुल लोड पर विद्युत उत्पादन शुरू किए जाने के बाद रिसाव बढ़ गया था। 27 मई को हेड रेस टनल के पास मरगांव चमियारी के पानी के भारी रिसाव से मरगांव की सिंचाई नहर का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया था। इस पर निगम ने करीब 76 लाख भी खर्च किए हैं, जिसके बाद निगम ने शासन से तकनीकी विशेषज्ञों की मांग की थी। इस पर शासन की ओर से एक से चार सदस्यीय तकनीकी विशेषज्ञ टीम गठित की गई, जिसने मंगलवार को उत्तरकाशी पहुंचकर सुरंग के साथ रिसाव स्थल का निरीक्षण किया। निगम के जनसंपर्क अधिकारी विमल डबराल ने बताया कि विशेषज्ञ टीम ने स्थलीय निरीक्षण कर रिसाव के पीछे के कारणों की जानकारी जुटाई है। जिसके विस्तृत रिपोर्ट मिलने के बाद ट्रीटमेंट किया जाएगा। टीम में भूगर्भीय विशेषज्ञ गोपाल धवन, सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ यूएस रावत, जल विद्युत विशेषज्ञ वीके गुप्ता, भू-भौतिकी विशेषज्ञ संजय राणा के साथ यूजेवीएनएल के महाप्रबबंधक ओपी सिंह, उप महाप्रबंधक एसके सिंह, अधिशासी अभियंता एके सिंह आदि शामिल रहे।