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सीपीआर देने से कम हो सकता है मौत का जोखिम

ऋषिकेश : पीपीडी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित जागरूकता एवं सड़क सुरक्षा कार्यशाला के तहत छात्र-छात्राओं को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया। इस दौरान दुर्घटना की स्थिति में आम नागरिकों के कर्तव्य, रेस्क्यू तथा प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित जानकारी भी दी गई।

पं. ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के ऋषिकेश कैंपस में आयोजित कार्यशाला में प्रेवेंट प्रेवेंटेबल डेथ (अस्पताल के बाहर हो रही मृत्यु को कम करने) विषय पर चर्चा की गई। पीपीडी फाउंडेशन के संस्थापक डा. अवनीश कटियार ने बताया कि भारत एक ऐसा देश है, जहां पूरी दुनिया में सबसे अधिक मौत के मामले सड़क हादसों के कारण सामने आते हैं। जिन्हें सावधानी बरत कर कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना होने के बहुत सारे कारण हैं। हैरानी की बात यह है कि सबसे अधिक मौतें सही जानकारियों के अभाव में होती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन)देने को प्राथमिक उपचार नही माना जाता। सड़क दुर्घटना से कैसे बचे अथवा किसी व्यक्ति को कैसे बचाएं इसकी जानकारी पूर्णता प्राथमिक चिकित्सक को भी नही होती। उसका कारण लगातार मेडिकल शिक्षा का अभाव है। अधिकतम मरीज जो बड़े अस्पताल में भेजे जाते है उन्हें सामान्य इलाज भी नही मिला होता है। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और इससे होने वाली मौतों को कम करने के लिए सही जानकारी रखने, यातायात के नियमों का पालन करने की सलाह दी। इस दौरान छात्र-छात्राओं को सीपीआर देने की तकनीकी भी बताई गई। इस अवसर पर कार्यशाला में डा. अवनीश कटियार, डा. प्रशांत कटियार, डा. सौरभ, परिसर के प्राचार्य प्रो पंकज पंत, डीन विज्ञान विभाग प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा, डीन प्रो. दिनेश चंद्र गोस्वामी, डीन वाणिज्य प्रो. राजमणि पटेल, डा. शालिनी कोटियाल, देवेंद्र भट्ट, सफिया हसन, अर्जुन पालीवाल, नरेश सिंह, डा. अशोक मेंदोला, डा. प्रीति खंडूरी आदि मौजूद रहे

 

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