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आईआईटी में 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रेन्स का आयोजन

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी रुड़की में मंगलवार को कार्यक्रम शुरू हो गया है। इस दौरान पूर्व आईएलओ अधिकारी प्रो. कृष्णामूर्ति ने भातरीय श्रम अध्ययन के बारे में चर्चा की। तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 37 तकनीकी सत्रों में सम्मेलन के तीन विषयों पर लगभग 250 पेपर प्रेजेंटेशन दिए जाएंगे। इस दौरान आईआईटी के डॉयरेक्टर प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी, दीपक नायर, अलख एन. शर्मा, जे. कृष्णामूर्ति, एसपी सिंह और फाल्गुनी पटनायक, अमित बसोले, अजीम प्रेमजी, दिलिप रथ, शहारा रजवी, मेहेह पुदुमजी, अभिजीत सेन, कमला संकरन, केपी कन्नन, मरीको आउची, जीमोल उन्नी, दीपक कुमार सिंह और संतोष मेहरोत्रा आदि ने अपने विचार रखे। प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि आईआईटी रुड़की को सालाना लेबर इकोनोमिक्स सम्मेलन का आयोजन खुशी का अनुभव हो रहा है। प्रो. अलख एन शर्मा ने कहा कि युवाओं के लिए बेरोजगारी की समस्या भारत में बड़ी चुनौती है, खासतौर पर पढ़े लिखे युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। कहा कि समय के साथ यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है और वर्तमान में यह आंकड़ा 25 फीसदी है। अगर भारत को 2030 तक सभी को रोजगार देने के एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करना है तो आने वाले सालों में इस मुद्दे को हल करना बहुत जरूरी है। प्रो. दीपक नायर ने कहा कि इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबल इकोनोमिक्स, श्रम, रोजगार एवं विकास के क्षेत्र में सक्रिय शोधकर्ताओं और अन्य हितधारकों का पेशेवर संगठन है। सोसाइटी की स्थापना 1957 में वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा देने और श्रम बजार, रोजगार संबंधी विषयों पर जानकारी के प्रसार के लिए की गई है।

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