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तितलियों के संसार में तीसरे महोत्सव के लिए तैयार देवलसारी

नई टिहरी : देवलसारी पर्यटक स्थल तीसरे तितली महोत्सव के लिए तैयार हो गया है। चार जून से शुरू होने वाले इस चार दिवसीय महोत्सव का इस बार भव्य आयोजन होगा। इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों से तितली विशेषज्ञ, जैव विविधता विशेषज्ञ, प्रसिद्ध फोटोग्राफर, प्रकृति प्रेमियों को आमंत्रित किया गया है और इसके लिए अभी से आनलाइन बुकिंग भी शुरू हो चुकी है। इस बार महोत्सव के दौरान करीब सात किमी का पैदल ट्रैक भी होगा।

देवलसारी अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधे पाए जाते हैं, लेकिन विभिन्न प्रजातियों की तितलियों के लिए भी यह स्थान प्रसिद्ध है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 80 किमी है, जबकि राजधानी देहरादून से 70 किमी है। यह स्थान 1650 मीटर की ऊंचाई पर है। जौनपुर ब्लाक के अंतर्गत यह स्थान उत्तरकाशी की सीमा पर पड़ता है। यहां की नैसर्गिक सुंदरता व जैव विविधता के पर्यटक कायल हैं। यही कारण है कि प्रकृति प्रेमियों, शोध करने वाले छात्रों व विशेषज्ञों के लिए यह स्थान पहली पसंद बना हुआ है। यहां की तितलियों को पहचान दिलाने, जैव विविधता को जानने व इसको पर्यटन के रूप में पहचान दिलाने के लिए देवलसारी पर्यावरण संरक्षण एवं विकास संस्थान ने यहां पर वर्ष 2018 में तितली महोत्सव की शुरुआत की थी। 2019 में भी इसका आयोजन हुआ, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से विशेषज्ञ पहुंचे। वर्ष 2020 व 2021 में कोविड के चलते इसका आयोजन नहीं हो पाया था। इसको देखते हुए इस बार इसका भव्य आयोजन किया जा रहा है। आयोजन के लिए देवलसारी में अभी से टैंट बुक हो गए हैं और करीब 20 व्यक्तियों ने इसके आयोजन में प्रतिभाग करने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कर दिया है।

सात किमी का होगा ट्रैकिंग

इस बार महोत्सव के दौरान सात किमी की ट्रैकिंग भी आकर्षण का केंद्र रहेगी। इसके लिए ट्रैक तैयार किया जा रहा है। करीब 27 सौ मीटर की ऊंचाई पर लूंसू जगह से ट्रैकिंग की जाएगी। यहां पहुंचने वाले विशेषज्ञ व प्रकृति प्रेमी ट्रैक का लुत्फ उठाएंगे। इस दौरान उन्हें प्रकृति को नजदीक से जानने का भी मौका मिलेगा।

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तितलियों की पाई जाती है डेढ़ सौ प्रजाति

देवलसारी में तितलियों की डेढ़ सौ प्रजाति पाई जाती है। रंग-विरंगी तितलियां प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसीलिए इस स्थान को तितलियों का संसार भी कहा जाता है। यहां की पौध व वनस्पतियां भी तितलियों के अनुकूल हैं, इसलिए यहां पर काफी संख्या में तितलियां पाई जाती है।

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देवलसारी में तीसरी बार इसका आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए अभी से आनलाइन रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो गया है। इसकी तैयारी भी जोरशोर से चल रही है। इसमें वन विभाग का भी सहयोग मिल रहा है।

अरुण गौड़, निदेशक देवलसारी पर्यावरण संरक्षण एवं विकास संस्थान

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