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MP के बड़े शहरों में मेयर बनने की रेस शुरू, जानें कहां से कौन दावेदार?

प्रदेश की नगर निगमों में महापौर पद का चुनाव सीधे जनता से कराने के बीजेपी सरकार के ऐलान से सभी पार्टियों में नेताओं के चेहरे खिल गए हैं। सरकार के इस फैसले से बीजेपी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के भी कई नेताओं की उम्मीदें हरी हो गईं हैं। ये नेता भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वाालियर, जबलपुर, रीवा, सतना, सागर, छिंदवाड़ा जैसे प्रदेश के 16 प्रमुख शहरों की नगर निगम में महापौर की ताकतवर कुर्सी हासिल करने की हसरत लंबे समय से पाले हुए हैं। शहरों की राजनीति में सक्रिय नेताओं ने नगरीय निकाय के चुनाव के बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारी का ऐलान होते ही महापौर के टिकट के लिए दावेदारी और लॉबिंग शुरू कर दी है। द सूत्र की टीम ने खास रिपोर्ट के जरिए प्रदेशभर से उन नेताओं के नाम जुटाए हैं जो बड़े शहरों का प्रथम नागरिक (महापौर) बनने के चुनाव में टिकट के प्रमुख दावेदारों की दौड़ में शामिल हैं।

भोपाल: महापौर के लिए बीजेपी से राजो मालवीय, मालती राय, कांग्रेस से विभा पटेल और संतोष कंसाना का ना

पिछला महापौरः आलोक शर्मा (बीजेपी)

बीजेपीः भोपाल में महापौर का पद ओबीसी महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। इस लिहाज से बीजेपी की तरफ से पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता राजो मालवीय ओबीसी के चेहरे के रूप में बड़ी दावेदार हैं। ये पहले भी भोपाल नगर निगम में महापौर पद का चुनाव लड़ चुकी हैं। पूर्व में राज्य महिला आयोग की सदस्य की जिम्मेदारी भी संभाल चुकीं हैं। इनके अलावा बीजेपी की पूर्व पार्षद सीमा यादव, तुलसा वर्मा, मालती राय भी राजधानी में प्रथम नागरिक का दर्जा पाने के लिए महापौर पद के संभावित उम्मीदवारों की फेहरिस्त में शामिल हैं।

कांग्रेसः महापौर पद के लिए कांग्रेस में ओबीसी महिला के रूप में दो दावेदारों के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल और पूर्व पार्षद संतोष कंसाना इस दौड़ में आगे हैं। वर्तमान में कांग्रेस के पास महापौर पद के लिए विभा पटेल ही एक जाना पहचाना और स्थापित चेहरा है। वे पूर्व में भोपाल की महापौर चुनीं जा चुकी हैं। इसके बाद वे गोविंदपुरा सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुकीं हैं।

इंदौर: बीजेपी से रमेश मेंदोला के अलावा लंबी कतार, कांग्रेस से संजय शुक्ला इकलौता नाम

पिछला महापौरः मालिनी गौड़ (बीजेपी)

प्रदेश में मेयर का सबसे बड़ा चुनाव इंदौर नगर निगम का होता है। यहां 18.35 लाख वोटर्स अपना मेयर चुनते हैं। ये इकलौता शहर है, जहां दो दशक से लगातार बीजेपी का मेयर है। कैलाश विजयवर्गीय ने सन 2000 में देश में सर्वाधिक वोटों से जीतने वाले मेयर की उपाधि हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता सुरेश सेठ को हराया था। वे निर्दलीय लड़े थे और कांग्रेस उन्हें समर्थन देने के मुद्दे पर दो-फाड़ हो गई थी। उसके बाद से कांग्रेस यहां मेयर तो क्या, परिषद तक बनाने को तरस गई है। हालांकि इस बार कांग्रेस ने विधायक संजय शुक्ला को काफी पहले मेयर का उम्मीदवार घोषित कर लड़ाई को रोचक और बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण बनाने की कोशिश की है । बीजेपी ने कभी खुलकर अपने पत्ते नहीं खोले, लेकिन महापौर पद के दावेदारों ने टिकट हासिल करने के लिए जमावट और लॉबिंग शुरू कर दी है।

कांग्रेसः इंदौर में महापौर पद के लिए कांग्रेस की ओर से विधायक संजय शुक्ला तयशुदा उम्मीदवार हैं। पिछली बार चुनावों की घोषणा होते ही उन्होंने मैदानी तैयारी भी शुरू भी कर दी थी। वे इस बार भी तैयार हैं। उम्मीदवारी के सवाल पर उनका कहना है कि मेयर का चुनाव डायरेक्ट हो या पार्षदों के जरिए। पार्टी कहेगी तो पार्षद का चुनाव लड़कर भी मेयर बनने के लिए तैयार हूं। दरअसल वे पिछले चुनाव में बीजेपी के दो बार के विधायक सुदर्शन गुप्ता को हराने के बाद कांग्रेस के लिए बड़ी संभावना बनकर उभरे हैं। उन्होंने इंदौर विधानसभा-1 की सीट बीजेपी से 15 साल बाद छीनी है।

बीजेपीः इंदौर में बीजेपी से महापौर पद के लिए रमेश मेंदोला का नाम पहली पंक्ति के उम्मीदवारों में शामिल है। इंदौर मेयर पद के लिए 2005 में जब बीजेपी ने कृष्णमुरारी मोघे को उम्मीदवार बनाया था, तब भी रमेश मेंदोला का नाम प्रमुख दावेदारों की सूची में शामिल था।

रमेश मेंदोला क्यों- इंदौर शहर से तीन बार के विधायक हैं। उनका नाम प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले विधायक के रूप में शुमार हैं। पार्टी के लिए कुक्षी, सांवेर, महेश्वर से लेकर झाबुआ तक के विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने और अधिकांशतः जीत सुनिश्चित कराने वालों में मेंदोला पार्टी के सेफ्टी वॉल्व कहे जाते हैं। जहां कोई कुछ नहीं कर पाता, वहां पार्टी मेंदोला पर दांव चलती है। ‘जनबल के विधायक’ हैं और जरूरत पड़ने पर कांग्रेस के संजय शुक्ला के धनबल का मुकाबला भी करने में सक्षम हैं। चूंकि शिवराज मंत्रिमंडल में जगह पाने से दो बार चूक गए हैं, इसलिए संभावना है कि पार्टी उसकी भरपाई के लिए इंदौर में महापौर के प्रतिष्ठित पद के लिए मेंदोला पर दांव पर लगाए। वैसे वे खुद कभी दावेदारी नहीं जताते, लेकिन अपने ‘हनुमान’  के लिए उनके ‘राम’ (कैलाश विजयवर्गीय) भोपाल-दिल्ली एक कर देते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही होने की संभावना जताई जा रही

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