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सीपीआर को लेकर डाक्टर और पैरामेडिकल कर्मियों को किया प्रशिक्षित

श्रीनगर गढ़वाल: कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) को लेकर श्रीनगर मेडिकल कालेज के एनेस्थीसिया विभाग के तत्वावधान में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला संपन्न हो गई। बेस अस्पताल के लैक्चर थिएटर में संचालित कार्यशाला में मेडिकल कालेज के जूनियर रेजीडेंट्स डाक्टर, प्रशिक्षु डाक्टरों, नर्सिंग अधिकारियों और वार्ड ब्वाय को सीपीआर देने की तकनीक में एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. अजयविक्रम सिंह के नेतृत्व में विभाग के डाक्टरों ने प्रशिक्षण दिया। मेडिकल कालेज के बाद अब डा. अजय विक्रम सिंह के नेतृत्व में एनेस्थीसिया विभाग के चिकित्सकों की ओर से श्रीनगर महिला थाना सभागार में पुलिस कर्मियों, अग्निशमन कर्मियों को भी सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। श्रीनगर मेडिकल कालेज के एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. अजय विक्रम सिंह ने कहा कि मरीज की हृदय गति रुकने के पांच से दस मिनट में दिमाग भी मृत हो जाता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि हृदय गति रुकने के तुरंत बाद अथवा पांच मिनट के अंदर यदि सीपीआर तकनीक शुरू कर दी जाती है तो मरीज के बचने की संभावना भी प्रबल हो जाती है। जैसे-जैसे और देर होती है मरीज के बचने की संभावना भी क्षीण होती जाती है। डा. अजय विक्रम सिंह ने बताया कि कार्डियक एरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में भी सीपीआर से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। जिसमें कृतिम रूप से हृदय से रक्त संचार प्रवाह को बनाए रखा जाता है और मस्तिष्क को मृत होने से बचाया जा सकता है। डा. अजय विक्रम सिंह ने कहा कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन देने की तकनीक आम नागरिक को भी आनी चाहिए। मरीज के हृदय की गति कहीं पर भी रुक सकती है और उस स्थिति में हर एक मिनट मरीज के लिए बहुत ही बहुमूल्य होता है। प्रशिक्षण का उद्देश्य हर आमजन को भी सीपीआर तकनीक के महत्व के बारे में जागरूक करना है। डा. अजय विक्रम ने कहा कि एनसीसी कैडेटों के साथ ही एनएसएस, स्काउट गाइड और स्कूली छात्रों को भी सीपीआर ट्रेनिंग दी जाएगी।

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