दून में कड़े नियमों के बाद ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन घटे, ऋषिकेश और विकासनगर में बढ़े
ड्राइविंग लाइसेंस के कड़े मानकों के कारण दून आरटीओ में 70 फीसदी आवेदक घट गए। 2018 तक सालाना औसतन 25 हजार परमानेंट डीएल बनते थे, जो अब घटकर सात हजार के लगभग रह गए हैं। जबकि, विकासनगर में 2018 के मुकाबले करीब तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। ऋषिकेश में भी 20 फीसदी इजाफा हुआ है। हैरानी की बात है कि ऋषिकेश में इस साल छह महीने में ही दून आरटीओ से ज्यादा डीएल बन चुके हैं।
दून आरटीओ में 2019 से परमानेंट डीएल के लिए सिम्युलेटर टेस्ट जरूरी हो गया। इसके साथ ही लर्निंग डीएल के लिए भी ऑनलाइन टेस्ट शुरू हुए। इसके कुछ समय बाद परमानेंट डीएल के लिए सिम्युलेटर व्यवस्था खत्म करते हुए आईडीटीआर झाझरा में ड्राइविंग ट्रैक पर टेस्ट अनिवार्य किया गया। यहां ट्रैक पर लोगों को कार और दोपहिया वाहन चलाकर कड़ी परीक्षा देनी पड़ रही है। इसमें 40 फीसदी से ज्यादा आवेदक फेल हो रहे हैं। टेस्ट के मानक कड़े होने के बाद दून आरटीओ में डीएल के आवेदकों की संख्या घटती जा रही है। देहरादून के आरटीओ प्रशासन दिनेश पठोई का कहना है कि 2019 में एमवी ऐक्ट में बदलाव हुआ था, जिसके तहत राज्यभर में कहीं से भी डीएल बनवा सकते हैं। कड़े मानकों के चलते भी लोग यहां डीएल बनाने से बच रहे हैं। संभवत: इन्हीं दो कारणों से आवेदक घटे हैं। भविष्य में विकासनगर और ऋषिकेश का परमानेंट डीएल टेस्ट भी झाझरा में कराने पर विचार चल रहा है।