कर्मचारियों के नियमितीकरण के बाद हो जीएमवीएन व केएमवीएन का विलय
ऋषिकेश : संयुक्त कर्मचारी महासंघ एवं गढ़वाल व कुमाऊं मंडल विकास निगम के चतुर्थ अधिवेशन में कर्मचारियों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई। महासंघ ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार जीएमवीएम व केएमवीएन को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद में विलय करना चाहती है तो उससे पहले प्राथमिकता के आधार पर दोनों निगमों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों का नियमितीकरण करे।
सोमवार को गढ़वाल मंडल विकास निगम के बाईपास मार्ग स्थित भारत भूमि अतिथि गृह में आयोजित अधिवेशन में महासंघ के संरक्षक पुरुषोत्तम पुरी, अध्यक्ष दिनेश गुरुरानी ने कहा कि दोनों निगमों में वर्तमान पूर्व में 1200 स्थायी कर्मचारी कार्यरत थे, जिनकी संख्या वर्तमान में महज 700 रह गई है। जबकि आने वाले तीन वर्षों में यह संख्या महज 350 रह जाएगी। ऐसे में निगम की संस्थाओं का संचालन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में दोनों निगमों में 700 अस्थायी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिन्हें सेवा का लंबा अनुभव है। इन कर्मचारियों को नियमित किया जाना जरूरी है। महासचिव आशीष उनियाल ने कहा कि उत्तरप्रदेश सरकार के दौर में जीएमवीएन व केएमवीएन को नियमित अनुदान मिलता था, जबकि उत्तराखंड बनने के बाद कोई अनुदान नहीं मिल पाया है। उन्होंने जीएमवीएन व केएमवीएन को पूर्व की भांति खनन व आबकारी का काम सौंपने की मांग की। उन्होंने कहा कि आपदा में हुई क्षति की भरपाई के लिए निगम ने सरकार से 68 करोड़ की क्षतिपूर्त मांगी थी, मगर मात्र पांच करोड़ का अनुदान ही सरकार की ओर से मिला पाया। इस दौरान महासंघ ने अधिवेशन में पहुंचे मुख्य अतिथि जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक वंशीधर तिवारी महाप्रबंधक अनिल गर्व्याल को मांग पत्र भी सौंपा। जिसमें कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग प्रमुख रूप से शामिल रही। प्रबंध निदेशक ने महासंघ को आश्वासन दिया कि उनकी मांग से शासन को अवगत कराया जाएगा। अधिवेशन में विश्वनाथ बेंजवाल, श्याम लाल, गौतम कुमार आर्य, करण सिंह पुंडीर, नरेंद्र सिंह, दिनेश प्रसाद भट्ट, राजपाल सिंह, मुकेश चौहान, कुलदीप सिंह रावत, रेवत सिंह बिष्ट, अभय राज, नरेंद्र सिंह रावत, प्रदीप शाह, नंदा पुरोहित, गिरीश सिंह रावत, मोर सिंह रावत, प्रकाश बुटोला, ललित मोहन शाह, प्रवेश कुमार गुलाब सिंह आदि मौजूद रहे