प्रदेश के निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में इस बार नहीं बढ़ेगी फीस, शासन ने जारी किया आदेश
देहरादून : प्रदेश में निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों को लेकर सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। चालू सत्र 2022-23 के लिए इन कॉलेजों का शुल्क यथावत रखने के निर्देश सरकार ने दिए हैं।
कॉलेजों में नए प्रवेश के दौरान शुल्क को लेकर असंमजस दूर किया गया है। प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति की ओर से नया शुल्क तय करने की स्थिति में इसे लागू किया जाएगा। इसे वर्तमान शुल्क के साथ समायोजित किया जाएगा
चिकित्सा शिक्षा संयुक्त सचिव ने जारी किए आदेश
चिकित्सा शिक्षा संयुक्त सचिव अरविंद सिंह पांगती ने हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति और चिकित्सा शिक्षा निदेशक को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
नीट का परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद अब काउंसिलिंग के माध्यम से निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया संपन्न की जानी है। प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति में शुल्क निर्धारण को लेकर प्रक्रिया अभी चल रही है।
प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति करती है शुल्क का निर्धारण
समिति ने अभी शुल्क तय नहीं किया है। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को पत्र भेजकर दिशा-निर्देश मांगे गए थे। शासनादेश में कहा गया कि राज्य में स्थित निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों के शुल्क का निर्धारण प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति करती है।
जब तक समिति शुल्क निर्धारित करती है, तब तक बीते वर्षों की भांति ही शुल्क नए शैक्षिक सत्र 2022-23 के लिए लागू रहेगा। यदि समिति ने शुल्क की दरें बढ़ाई या घटाई जाती हैं तो उसके अनुरूप ही शुल्क का निर्धारण और अंतर की धनराशि का नियमानुसार समायोजन किया जाएगा
निजी विश्वविद्यालयों के लिए शुल्क तय करेगी फीस कमेटी
प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों को अपने व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के लिए शुल्क का निर्धारण प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति से कराना होगा। वे अपने स्तर पर शुल्क निर्धारित नहीं कर सकेंगे। अभी तक मात्र तीन निजी विश्वविद्यालयों ने ही शुल्क तय कराने के लिए प्रस्ताव समिति को भेजे हैं।
प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय उनके यहां संचालित व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के लिए शुल्क का निर्धारण स्वयं ही करते रहे हैं। यद्यपि प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति से संबंधित अधिनियम में समस्त निजी और व्यवसायिक शिक्षण संस्थाओं के लिए शुल्क निर्धारण का अधिकार समिति को ही प्राप्त है। समिति ने इस अधिनियम और व्यवस्था का हवाला देते हुए सभी निजी विश्वविद्यालयों को भी पत्र भेजे हैं। सरकारी विश्वविद्यालयों से संबद्ध निजी व्यवसायिक शिक्षण संस्थाओं की ओर से समिति को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं, लेकिन निजी विश्वविद्यालयों ने अभी अपेक्षित रुचि नहीं दिखाई है।
अभी मात्र तीन निजी विश्वविद्यालयों ने ही समिति के पत्र के जवाब में शुल्क निर्धारण के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। ग्राफिक एरा हिल विश्वविद्यालय, देवभूमि विश्वविद्यालय और हिमालयीय विश्वविद्यालय प्रस्ताव देने वालों में सम्मिलित हैं। समिति के नोडल अधिकारी डा एएस उनियाल का कहना है कि सभी निजी विश्वविद्यालयों के साथ ही निजी शिक्षण संस्थाओं को शुल्क निर्धारित करने के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश समिति की ओर से दिए जा चुके हैं। कई संस्थाओं को रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं
समिति सरकारी विश्वविद्यालयों से संबद्ध निजी शिक्षण संस्थाओं को ई-मेल के माध्यम से शुल्क निर्धारण के संबंध में प्रस्ताव देने के निर्देश दे चुकी है। कई शिक्षण संस्थाओं की ओर से प्रस्ताव भेजे गए हैं। समिति की ओर से निर्धारित प्रारूप पर सूचनाएं देने को कहा गया है। अब भी कई संस्थाओं ने शुल्क निर्धारित नहीं कराया है।
बीते कई वर्षों से तकनीकी, चिकित्सा शिक्षा, आयुष शिक्षा, उच्च शिक्षा, कृषि एवं संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत संचालित निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं का शुल्क निर्धारण नहीं हो सका था। जस्टिस महबूब अली (सेनि) की अध्यक्षता में गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति शुल्क निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।