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प्राकृतिक असंतुलन के कारण आपदा के स्तर मे तेजी आना चिंताजनक

गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि प्राकृतिक असन्तुलन के कारण आपदाओं के स्तर में तेजी आना चिन्ता का विषय है। किसी भी देश तथा राज्य की सरकारों के लिए सामान्य जान-माल की सुरक्षा की व्यवस्था करना प्राथमिक जरूरत बन गया है। आपदा प्रबंधन में त्वरित निर्णय के साथ काम करना ही डैमेज को कन्ट्रोल करने की सबसे कारगर युक्ति है। बुधवार को प्राकृतिक आपदा निवारण दिवस पर प्राकृतिक आपदा निवारण जागरूकता कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।

गुरुकुल कांगड़ी विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिवकुमार चौहान ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि जीवन विषमताओं से भरा है। केवल अपेक्षाओं के बल पर किसी लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि चुनौतियों के साथ व्यवस्था, धैर्य तथा अनुभव के बल पर विजय प्राप्त होती है। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. रमेश चन्द्र सेमवाल, हरिद्वार पर्यावरण जागरूकता मंच के सचिव डॉ. गगन माटा ने बताया कि कार्यशाला में यह निष्कर्ष निकाला गया कि आपदा प्रबंधन मानव जाति के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। यदि हम सफलतापूर्वक एक आदर्श वैज्ञानिक प्रबंधन की योजना तैयार करते हैं तो संभव है कि आपदा के प्रभाव को कम कर सकेंगे। कार्यशाला का आयोजन सहारनपुर की सामाजिक संस्था अभ्युदय तथा हरिद्वार पर्यावरण जागरूकता मंच द्वारा संयुक्त रूप से ऑनलाइन तथा ऑफलाइन माध्यम से किया। कार्यशाला में इस अवसर पर अभ्युदय, डॉ. अवतार सिंह आदि मौजूद रहे।

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