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बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान से परिचित कराना समाज हित में

हल्द्वानी :  डिजिटल दौर में तकनीकी ज्ञान की जरूरत अभिभावकों व बुजुर्गों के लिए चुनौती के रूप में सामने आई है। नई तकनीक को अपनाए बिना नहीं रहा जा सकता। उसके बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता। नई तकनीक के नफा-नुकसान का प्रभावी सह-अस्तित्व के बारे में समाज में विमर्श करना होगा।

इस सबके लिए अभिभावकों व बुजुर्गों को तकनीकी ज्ञान व गेजेट्स की मूलभूत जानकारी होना नितांत जरूरी होगा। उन्हें आराम करने की उम्र में एक छात्र की तरह सीखना ही पड़ेगा। अन्यथा संस्कार विहीन तकनीकी ज्ञान व गेजेट्स आने वाली पीढिय़ों को इंसान से मशीन में बदलने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी

तकनीकी ज्ञान के साझा होने से हमारे अभिभावकों व बुजुर्गों को मौसम, खेल, स्वास्थ्य, बैंक लेन-देन, बिलों का भुगतान, खरीददारी, समाचार व शिक्षा संबंधी जानकारी को अपनी जरूरत के अनुसार प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आज की तकनीकी पीढ़ी से दूर होने के बजाय उनसे बेहतर संवाद करते हुए जुड़ पाएंगे।

दैनिक जीवन व घरेलू देखभाल संबंधी जरूरतों पर आत्मनिर्भर बनने के लिए बच्चों की ओर या किसी देखभाल करने वाले की ओर आशापूर्ण नजरों से नहीं देखना पड़ेगा। नई टेक्नालाजी मानसिक व शारीरिक संपन्नता बढ़ाएगी। ज्ञान व स्मरण कौशल संबंधी जरूरतों में सुधार होगा। अभिभावकों व बुजुर्गों को परिवार और दोस्तों से इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जुड़े रहने में मददगार होगा। जिससे वह ज्यादा क्रियाशील रहते हुए समाज में अधिक योगदान कर सकेंगे।

इंटरनेट पर कार्य के दौरान पासवर्ड प्रबंधन एप से बिना उन्हें याद रखे उपयोग करना, सुरक्षा संबंधी नीति को समझना, प्रबंधन करना जैसे तकनीकी ज्ञान से सीखने का प्रारंभ किया जा सकता है। मौसम, खेल, स्वास्थ्य, बैंक लेन-देन, बिलों का भुगतान, खरीददारी, समाचार व शिक्षा संबंधी जानकारी किस प्रकार वेबसाइट पर देखी जाए, उसका उपयोग किया जाए, इसकी जानकारी बुजुर्गों से साझा करनी चाहिए।

अभिभावक व बुजुर्ग अपने ज्ञान व अनुभव को तकनीकी तौर पर पीछे रहने के चलते साझा करने से छूट जाए तो आने वाली पीढिय़ों के पास तकनीकी तो रहेगी, लेकिन विरासत के जीवन मूल्यों के संस्कार के बीज प्रस्फुटित नहीं हो पाएंगे। यह किसी भी समाज या राष्ट्र के लिए हितकर नहीं होगा।

 

इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए तकनीकी तौर पर मजबूत बच्चों के कंधों के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता को इतनी जानकारी दें, ताकि संस्कारों की अनवरत प्रवाहित हो रही नदी का प्रवाह तकनीकी ज्ञान के अभाव में अवरूद्ध न होने पाए। अन्यथा पीढ़ी अंतराल विकट समस्या के रूप में हमारे सामने होगा।

कई बार परिस्थितियां भी बनती हैं वजह

कई बार जरूरी तकनीकी कौशल न होना धन के अभाव, परिस्थितियों या जरूरी गेजेट्स तक पहुंच न हो पाने के कारण भी हो सकता है। तकनीकी ज्ञान व गेजेट्स लगातार बदल रहे हैं। रोज नए-नए अवतार सामने आ रहे हैं। बिना इस ज्ञान को सीखे इसके समानांतर बने रहना मुश्किल है। अभिभावकों व बुजुर्गों के मन में अपनी व्यक्तिगत जानकारी व डेटा की सुरक्षा की चिंता तकनीकी ज्ञान व गेजेट्स को सीखने-समझने की राह में बड़ा अवरोध बनकर उभरा है।

सुरक्षित उपयोग पर विमर्श की जरूरत

गेजेट्स के टूटने, खोने या खराब होने का डर, उपयोग के दौरान संभावित आनलाइन समस्याओं व सुरक्षा का डर भी नई तकनीक के उपयोग की राह में अवरोध बनता है। ज्यादातर तकनीकी गेजेट्स का निर्माण व उपयोग बुजुर्गों को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता। अभिभावकों व बुजुर्गों की उम्र के अनुरूप गेजेट्स व साफ्टवेयर का निर्माण किए जाने की आवश्यकता है। तकनीकी का किस प्रकार सुरक्षित उपयोग हो सकता है इस पर भी विमर्श की जरूरत है।

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