भू-गर्भिक संरचना की दृष्टि से हिमालय क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील
पंडित ललित मोहन शर्मा श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में इनोवेशन क्लब की ओर से एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में हिमालय में जलवायु परिवर्तन, अन्य प्राकृतिक आपदाएं और जोखिम न्यूनीकरण प्रबंधन विषय पर विभिन्न देशों से आए हुए विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया।
बृहस्पतिवार को आयोजित कार्यक्रम में क्वाजुला नटाल विश्वविद्यालय दक्षिण अफ्रीका के डॅा. श्री निवास पिल्ले, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर के पूर्व निदेशक प्रो. केसी पुरोहित, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. महावीर सिंह रावत ने संयुक्त रुप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ. श्रीनिवास पिल्ले ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में अक्सर प्राकृतिक आपदाएं, भू स्खलन, बाढ़ व बादल फटने की घटनाएं देखने को मिलती हैं। भू-गर्भिक संरचना की दृष्टि से भी हिमालय का यह इलाका अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। भू गर्भीय हलचलों के कारण यहां छोटे बड़े भूकंपों की आशंका लगातार बनी रहती है। बीते कुछ दशकों में अनियोजित विकास के कारण पहाड़ों में भू-कटाव और भूस्खलन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। दक्षिण अफ्रीका में भूस्खलन की घटनाएं अखबारों में बड़ी खबर बनती हैं, लेकिन भारत में उसे इतना महत्व नहीं दिया जाता है। अनियोजित विकास, प्राकृतिक संसाधनों के निर्मम दोहन व बढ़ते शहरीकरण की स्थिति ने यहां के पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ दिया है। जिससे प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है।
कहा कि भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। इसका अधिकांश भाग हिमालयी भू-भाग में स्थित होने के कारण यहां भूकंप की आशंका प्रबल बनी रहती है। इसके अलावा विभिन्न विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर प्रो गुलशन कुमार ढींगरा, प्रो. दिनेश चंद्र गोस्वामी, प्रो.पीके सिंह, प्रो. शांति प्रकाश सती, प्रो. अनीता तोमर, प्रो. देवमणि त्रिपाठी, प्रो. दुर्गाकांत प्रसाद चौधरी, प्रो. हेमलता मिश्रा आदि शामिल थे।
