तराई पूर्वी वन प्रभाग में आने वाले प्रवासी व दुर्लभ पक्षियों का वन विभाग करेगा सर्वे

हल्द्वानी : तराई पूर्वी वन प्रभाग के तहत आने वाले जलाशयों के आसपास प्रवासी व दुर्लभ पक्षियों की मौजूदगी को लेकर विभाग सर्वे कराने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में 50 वनकर्मियों को पांच टीम में बांटा जाएगा।
इसके अलावा पक्षियों के सर्वे से जुड़ी संस्था का सहयोग भी लिया जाएगा। विभाग के अनुसार सर्वे पूरा होने पर पक्षियों को लेकर स्पष्ट आंकड़े सामने आएंगे। जिसके बाद इन क्षेत्र के बर्ड वाचिंग जोन के तौर पर विकसित करने के साथ संरक्षण को लेकर भी योजना बनाई जाएगी।
तराई पूर्वी वन प्रभाग का जंगल नैनीताल और ऊधम सिंह नगर दोनों जिलों में फैला हुआ है। बैगुल, धौरा, नानकसागर, शारदा और खटीमा में स्थित सुरई रेंज के तहत आने वाले माला खाला ग्रासलैंड में हर साल विदेशी पक्षियों की अच्छी-खासी संख्या नजर आती है।
नवंबर मध्य से इनका आगमन शुरू हो जाता है। माला खाला ग्रासलैंड को दुर्लभ क्षेणी में शामिल पक्षी बंगाल फ्लोरिकन का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। इसके अलावा तराई के जंगल में सबसे ज्यादा हाग डीयर (हिरण प्रजाति) भी यही मिलते हैं।
डीएफओ तराई पूर्वी संदीप कुमार ने बताया कि पक्षियों की निगरानी के लिए पक्षी विशेषज्ञ के साथ दूरबीन, ड्रोन व अन्य तकनीकी संसाधनों का सहारा भी लिया जाएगा। ताकि जुटाए गए तथ्यों को लेकर असमंजस की स्थिति न बने। नवंबर में विभाग इस सर्वे को शुरू कर देगा।
जलाशयों के पास मिलने वाली प्रजाति
तराई के जलाशयों के आसपास हर साल सर्दियों में डेरा जमाने के लिए साइबेरिया से लेकर तिब्बत तक से पक्षी आते हैं। ब्लैक नेक्ट स्ट्राक, पेंटेड स्ट्राक, एशियन वुलिनेक, लेसर एजुटेंट, ओरियंटल डाटर आदि इसमें शामिल है