दिल्ली Metro के 20 साल: अगले महीने DMRC को मिलेगा स्वदेशी सिग्नल सिस्टम, विदेशी कंपनियों पर निर्भरता होगी कम
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। अगले माह 24 दिसंबर को दिल्ली मेट्रो अपने परिचालन के लिए 20 साल पूरे करेगी। इस अहम पड़ाव पर दिल्ली मेट्रो के खाते में स्वदेशी सिग्नल सिस्टम से मेट्रो परिचालन की अहम उपलब्धि भी जुड़ने की उम्मीद है। इसके तहत दिल्ली मेट्रो की सबसे पुरानी रेड लाइन पर अगले माह से स्वदेशी आटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (आइ-एटीएस) सिस्टम से मेट्रो का परिचालन शुरू हो जाएगा।
एटीएस सिग्नल सिस्टम का अहम हिस्सा होता है। इस स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल से मेट्रो परिचालन में सिग्नल सिस्टम के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम हो जाएगी। इसके इस्तेमाल से मेट्रो के सिग्नल सिस्टम के रखरखाव और नए कारिडोर पर सिग्नल सिस्टम विकसित करने का खर्च एक तिहाई घट जाएगा। मौजूदा समय में सभी मेट्रो कारिडोर पर विदेश में तैयार सिग्नल सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है
रेड लाइन का जर्मनी की कंपनी को रखरखाव का जिम्मा
रेड लाइन पर जर्मनी की कंपनी से हासिल तकनीक से मेट्रो का परिचालन होता है। इसका रखरखाव बेहद महंगा होता है। सिग्नल सिस्टम में विदेश की कंपनियों के वर्चस्व को खत्म करने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की पहल पर डीएमआरसी व भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने मिलकर स्वदेशी एटीएस तकनीक विकसित की है, जो कंप्यूटर आधारित तकनीक है।
ट्रायल हो चुका है पूरा
रिठाला से नया बस अड्डा, गाजियाबाद तक रेड लाइन पर इसका ट्रायल भी पूरा हो चुका है। डीएमआरसी का कहना है कि इसके इस्तेमाल के लिए पूरी तैयारी है। अगले माह के अंत तक रेड लाइन पर इस स्वदेशी तकनीक से मेट्रो का परिचालन होगा।
शाहदरा-तीस हजारी के बीच चली पहली मेट्रो
वर्ष 2002 में 25 दिसंबर को पहली बार रेड लाइन पर ही शाहदरा से तीस हजारी के बीच मेट्रो का परिचालन शुरू हुआ था। पिछले वर्ष स्वदेशी एटीएस तकनीक का ट्रायल भी 24 दिसंबर को शुरू हुआ था। ऐसे में अगले माह 24 या 25 दिसंबर से रेड लाइन पर स्वेदशी तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो सकता है।
एटीएस की मदद से कंट्रोल रूम से मेट्रो का बना रहता है संपर्क
एटीएस तकनीक से मेट्रो ट्रेनें आपरेशन कंट्रोल रूम (ओसीसी) से जुड़ी रहती हैं। रेड लाइन के लिए शास्त्री पार्क में ओसीसी बना हुआ है। इस ओसीसी से परिचालन के दौरान हर मेट्रो ट्रेन पर नजर रखी जाती है। इसमें तकनीकी खराबी के कारण मेट्रो का ओसीसी से संपर्क कटने पर परिचालन प्रभावित हो जाता है। डीएमआरसी का कहना है कि अभी एटीएस सिस्टम के साफ्टवेयर में दिक्कत होने पर जर्मनी में कंपनी के विशेषज्ञों से मदद लेनी पड़ती है। किसी चिप खराबी होने पर उसे विदेश भेजना पड़ता है। अब इसका रखरखाव यही सुनिश्चित हो सकेगा।
रेड लाइन की लंबाई- 34.55 किलोमीटर
स्टेशन- 29
रेड लाइन पर संचालित होने वाली मेट्रो ट्रेनों की संख्या- 39
आई-एटीएस के विकास के लिए डीएमआरसी व बीईएल में हुआ समझौता- वर्ष 2020
परियोजना में शामिल अन्य एजेंसियां
सीडैक, अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ)
सिग्नल सिस्टम अहम हिस्से तीन
आइ-एटीएस
एटीपी- आटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन
इंटरलाकिंग
दिल्ली एनसीआर में मेट्रो कुल नेटवर्क- 391 किलोमीटर
कुल मेट्रो स्टेशन- 286
दिल्ली मेट्रो की कुल लाइनें- 10