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CM पुष्कर का LBSNAA मसूरी में उत्तराखंड के नौकरशाहों को नसीहत-मन्त्र-व्याख्यान, `छोटा राज्य है,यहाँ कौन क्या कर रहा,कहाँ घूम रहा,किससे दोस्ती हो रही, क्या पक रहा, सब पता चल जाता है’.बोले, `याद रखें कि हमको ही सारी नीतियां-Act बनाने हैं’:नौकरशाह ये न समझे कि उनके साथ गलत हो रहा:कांटे में वही मछली फंसती है जो मुंह खोलती है

CM पुष्कर सिंह धामी ने आज मसूरी की खूबसूरत वादियों में LBSNAA के हॉल में राज्य के Senior-Junior नौकरशाहों को Expert-प्रोफ़ेसर-पेशेवर की तरह समझाया कि वे दिल से लोगों और राज्य के विकास के लिए काम करें. याद रखें कि हमको ही नीतियाँ और Act बनाने हैं. अपने सिर का बन्दर दूसरे के सिर पर डालने की आदत छोड़ें.कार्यों का सरलीकरण कर लोगों को राहत दिलाने की कोशिश करें.ACR (सालाना गोपनीय रिपोर्ट) के लिए उन्होंने कहा कि इसके मानक बदले जाएंगे. जो कामकाज सौंपे गए वे कैसे और किस तरह पूरे किए गए,उसके हिसाब से ACR लिखे जाएंगे.

नौकरशाहों को भाषण के बजाए पुष्कर ने व्याख्यान दिया कि आम तौर पर देखा जाता है कि अलग-अलग स्तर पर फाइलें जाती हैं.UDA से ले के फाइलें CS से होते हुए उनके पास फाइलें उच्चानुमोदन के लिए CM के पास आ जाती हैं.ये देखता हूँ कि सभी अफसर ने फ़ाइल में एक जैसी राय रख दी है. उन्होंने उसमें अपनी राय ही नहीं रखी है. अगर डर लग रहा हो तो बचने के लिए भले दो मंतव्य रख दें लेकिन राय जरूर रखें.

उन्होंने कहा,`मैं जहाँ जाता हूँ, सुबह बिना सुरक्षा के घूमते हुए स्थानीय लोगों से पूछता हूँ,स्थानीय प्रशासन कैसा है?सरकार का क्या चल रहा,लोगों से कई बार फीडबैक मिलता है जो कई बार अच्छा नहीं लगता. CS सुखबीर सिंह संधू का जिक्र खास तौर पर करते हुए कहा कि बहुत अच्छे हैं. जब इनको केंद्र से बुलाया था तब इनका भी मन यहाँ आने का 50-50 फ़ीसदी ही था.

CM ने कहा कि संधू के आने के बाद तंत्र में काफी सुधार हुआ.आने के 6-7 महीने में 700 के करीब फैसले लिए गए.10 गुणा काम हुआ. अब पता चलता है कि छोटे-बड़े अफसरों के यहाँ फाइलें रूक रही हैं. शासन के बड़े-छोटे अफसर सभी इनमें शामिल हैं. वित्त में फाइलें भेजने की जरूरत ही नहीं.फिर भी भेज दी जाती हैं.इससे काम नाहक लटकते हैं. महकमे-अफसर अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने की फिराक में रहते हैं. ये ऐसा ही है मानो अपने सिर का बन्दर दूसरी के सिर पर डाला जाए. राजस्व कहता है सिंचाई का है,सिंचाई कहता है फलां का है, वह कहता है PWD का है.यही चलता रहता है. इससे काम लटकते हैं.

मुख्यमंत्री ने नौकरशाहों से कहा कि उनको सोचना होगा कि उनके बच्चे भी भविष्य में उनसे सवाल पूछ सकते हैं कि पापा आप तो बड़ी पोस्ट पर रहे, अपने राज्य के लिए क्या किया? मेहनत से काम करें.राज्य के विकास के लिए कुछ कष्ट सहें सुबह 10 से 5 बजे तक काम की मानसिकता बदलें.नौकरशाह समझें कि  कुर्सी और पोस्ट अहम् नहीं होती है. मानसिकता बदलें. मयूर दीक्षित उत्तरकाशी की DM थे. पर मैंने CS से बात की. उनको दूसरी जिले में ले आए. चार धाम कार्यों के चलते. मयूर को लगा मैं तो छोटे जिले में आ गया. मेरे पास उनका फोन आया कि छोटे जिले में प्रमोशन की जगह डिमोशन हो गया,मैंने समझाया डिमोशन नहीं ,देश काल परिस्थिति के मुताबिक काम होते हैं.इनके जाने से खूब काम हुआ

पुष्कर ने नौकरशाहों को ये भी समझाया कि वे क्या कर रहे हैं किसी से नहीं छिपा रहता है. उत्तराखंड छोटा राज्य है.हर किसी को पता रहता है कि कौन क्या कर रहा.UP-महाराष्ट्र-बिहार जैसा बड़ा IAS कैडर नहीं है.पत्रकार भी अफसरों से मिलते हैं. उनके मन की थाह लेते हैं.कुछ खुलते हैं तो अफसर बोल पड़ते हिं.CM तो कुछ ही लोगों से घिरे हैं. उनकी ही सुनते हैं. उनकी जल्दी खिंचाई होगी. वे पत्रकार साथी भी मुझे फीडबैक देते हैं कि फलां अफसर ठीक नहीं चल रहा.मैं हकीकत जानता हूँ लेकिन  सोचता जरूर हूँ कि इसमें क्या सच्चाई है.क्यों वह अफसर ऐसा गलत सोच रहा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सोचना पड़ता है कि जरा सा भी कुछ विवादित न निकले.मैं बोलता ही कम हूँ.इसलिए डेढ़ साल में मेरे मुंह से कुछ भी विवादित नहीं निकला.मैं काली नदी के किनारे पड़ा हुआ. शारदा के किनारे बचपन गुजारा.इस नदी और मेर घर के बीच खटीमा में सिर्फ सड़क है.मैंने शारदा में बल्छी में काँटा और उसमें केंचुआ-आटा लगा के खूब मच्छी मारी है.बल्छी में फंसती वही मच्छी है, जो मुंह खोलेगी.

पुष्कर ने कहा कि सरकार में योजनाएं बनाई जा रही लेकिन ये सन्देश जा रहा है कि योजनाएं देहरादून केन्द्रित बन रही.पहले लखनऊ में योजनाएं बनती थीं अब देहरादून में. भगवान् की दी हुई तमाम चीजें हमारे पास है.भारत सरकार और नीति आयोग बहुत प्राथमिकता के साथ उत्तराखंड को सहयोग के लिए राजी हैं.कुदरत ने भी बिजली-बागवानी के क्षेत्र में काम करने का सौभाग्य दिया है. हमको योजना बनाने में सभी का ख्याल रखना होगा.

HP-UK की भौगोलिक परिस्थिति-मौसम को एक जैसी बताती हुए कहा कि वहां सेब ही सेब देखे मैंने. कुल्लू-मनाली गया था हाल ही में. बहुत अच्छा राज्य है हिमाचल.उससे कहीं ज्यादा अच्छा राज्य हमारा है.चार धाम भी हैं यहाँ.मसूरी में आने वाले वक्त में जगह नहीं मिलने वाली.देहरादून बहुत घना हो जाएगा. मैं ये नहीं कह सकता कि मेरे वक्त में तो गड़बड़ नहीं पहले से हुआ.मुझे विरासत में मिली गड़बड़ी की भी जिम्मेदारी लेनी होगी. हिंडन से गाजियाबाद तो 2 घंटे और दिल्ली से देहरादून भी 2 घंटे.शुक्रवार को ही लोग घर से सुबह ही सामान ले के निकलेंगे.शाम को सीधे देहरादून आ जाएंगे.इस नजरिये से भी देहरादून का विकास देखना होगा.

मुख्यमंत्री ने एक बड़े होटलियर का सन्दर्भ देते हुए कहा कि उन्होंने मुझसे कहा कि उत्तराखंड में अच्छा हो गया काम का माहौल.यहाँ काम करना है.सिर्फ घोषणा करना उचित नहीं.लोकप्रियता के लिए.सुनियोजित विकास हो.राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वालों के बारे में लोग अच्छी राय नहीं रखते हैं.कथनी-करनी में अंतर के लिए सिर्फ राजनीतिज्ञ ही नहीं, नौकरशाह भी जिम्मेदार हैं. कैसे विकास हो?चिंतन अफसरों को भी करना है.यहाँ की आबादी भले सवा करोड़ की हो लेकिन व्यवस्था 7 करोड़ के हिसाब से करना होता है. 3 दिन के चिंतन के बाद रिपोर्ट तैयार करना होगा कि शिविर में क्या निकला.

CM ने कहा कि अगली बार के चिंतन में हम सबकी चिंता जाहिर होनी चाहिए.हम अपने बारे में अच्छा बोलते हैं. मैंने ये अच्छा कार्य कर दिया. कार्य पद्धति ऐसी कर दी.याद रखें कि खुद के बोलने से ज्यादा काम बोलता है. अच्छा काम करने वाले ये न समझे कि कोई नहीं देख रहा. नौकरशाह ये भी ध्यान रखें कि स्थाई कुछ नहीं है. आपका कार्यकाल-कालखंड उपलब्धियों के मामले में याद रखा जाएगा.कितना काम अपने क्षेत्र में किया, ये देखा जाएगा.चिंतन शिविर से निकला अमृत राज्य के काम आना चाहिए.साल-2025 तक श्रेष्ठ राज्य उत्तराखंड को बनाना है. शिविर में राज्य के सभी नौकरशाह (CS से ले के DM तक) शरीक हो रहे हैं.

 

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