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दिल्ली नगर निगम के चुनावी दंगल में Dhami की धूम, नगर निगमों में 15 साल से है भाजपा का कब्जा

देहरादून: हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) के चुनावी दंगल में मोर्चे पर उतारा। इसके पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला दिल्ली में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों को भाजपा के पक्ष में मोड़ना और दूसरा दिल्ली के नगर निगमों में पिछले 15 साल से बनी भाजपा की बादशाहत को कायम रखना।

एमसीडी चुनावों के लिए भाजपा के स्टार प्रचारकों में शामिल धामी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं। वह भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में अब तक नौ चुनावी सभाएं, दो रोड शो करने के साथ ही घर-घर जनसंपर्क में जुटे हैं।

असल में दिल्ली प्रवासी उत्तराखंडियों की अच्छी-खासी संख्या है और एमसीडी की कई सीटों पर वे निर्णायक भूमिका में हैं। इस सबको देखते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री धामी को मोर्चे पर उतारा। इसके माध्यम से वह यह संदेश भी देना चाहती है कि धामी की अगुआई में उत्तराखंड में भाजपा मिथक तोड़कर लगातार दूसरी बार सत्ता में आई है।

दिल्ली के नगर निगमों में भाजपा का वर्चस्व है। अन्य दल उसके तिलस्म को तोड़ने में कामयाब नहीं हो पाए। भाजपा का प्रयास है कि नगर निगमों में इस बार भी उसका वर्चस्व बना रहे। इसीलिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री धामी को स्टारक प्रचारकों की टीम में शामिल किया गया

मुख्यमंत्री धामी ने भी एक सप्ताह के दौरान एमसीडी चुनावों में जोरदार ढंग से धमक दिखाई है। वह प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ ही अन्य नागरिकों को भी भाजपा के पक्ष में खड़े रहने के लिए जी-तोड़ कोशिशों में जुटे हैं। उनकी चुनावी सभाएं हों अथवा रोड शो या फिर जनसंपर्क अभियान, इनमें अच्छी-खासी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी शामिल हो रहे हैं

दिल्ली नगर निगम चुनावों में भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जुटे हैं, लेकिन उत्तराखंड से इन दलों के कोई बड़े नेता वहां चुनाव प्रचार को अब तक नहीं गए। कारण ये कि उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी पिछले दो विधानसभा व लोकसभा चुनावों से करारी शिकस्त झेलती आ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी के पास राज्य में कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जिसे एमसीडी के दंगल में मोर्चे पर लगाया जाए।

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