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रानीखेत-भुजान पेयजल योजना बनी तो रानीखेत की पेयजल समस्या होगी दूर

रानीखेत (अल्मोड़ा)। रानीखेत में पेयजल सबसे बड़ी समस्या है और इसका स्थायी समाधान नहीं हो सका है। ताड़ीखेत-गगास पेयजल योजना का अब तक पुनर्गठन नहीं हो सका। चिलियानौला ग्राम समूह पेयजल योजना बनी लेकिन अधिकतर गांवों में इसका पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इधर रानीखेत-भुजान पेयजल योजना स्वीकृत तो हुई है लेकिन इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। योजना से रानीखेत, सेना क्षेत्र सहित कई गांव भी जुड़ने हैं हालांकि इसके क्रियान्वयन के प्रयास चल रहे हैं।
1869 में अंग्रेजों ने पर्यटन नगरी बसाई और यहां सैनिकों की छावनी का निर्माण हुआ लेकिन पानी की समस्या अधिक थी। वर्ष 1900 में नागपानी के जलस्रोतों से पेयजल योजना बनाई गई। नागापानी से एक वितरण टैंक चौबटिया में तथा 38 हजार गेलन का एक टैंक रानीखेत के द्यूलीखेत में बनाया गया। रानीखेत नगर में इसी से आपूर्ति होती थी।
आबादी बढ़ने के साथ ही पानी की समस्या गहराने लगी। 1964-65 में कालू गधेरा डैम का निर्माण हुआ। वितरण का कार्य एमईएस को सौंपा गया। 1973 में ताड़ीखेत-गगास पेयजल योजना बनाई गई। धीरे-धीरे नागपानी योजना का पानी कम पड़ने लगा तो छावनी परिषद ने 1997 में देवीढुंगा पेयजल योजना का निर्माण किया।
ताड़ीखेत-गगास पेयजल योजना 1970 के दशक में अस्तित्व में आई इस योजना से 28 ग्राम सभाएं तथा सेना का इलाका जुड़ा हुआ है। 80 फीसदी पानी सेना को जाता है। चिलियानौला ग्राम समूह पेयजल योजना 2019 में बनकर तैयार हुई लेकिन इस योजना में कई शिकायतें आती हैं। रानीखेत-भुजान भी अभी बननी शुरू नहीं हुई है। हालांकि इसके लिए पिछले दिनों विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल ने सीएम से भी वार्ता की है।

भुजान पेयजल योजन धरातल पर उतर गई है। धन आवंटित होते ही कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि 2019 में योजना स्वीकृत हुई। पहले इस योजना से कई गांव भी जुड़ने थे, लेकिन गांव के लिए अलग बनने के बाद नया प्रस्ताव बनाया जा रहा है। योजना से रानीखेत शहर, सेना और नवोदय विद्यालय आदि क्षेत्रों को आपूर्ति होगी। -पंकज कुमार, जेई, जल निगम।

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