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MP के इस शहर में अनोखी पहल, बैंड- बाजा के साथ अस्पताल से घर जाती हैं नवजात बेटियां, जानें वजह

भिंड. मध्य प्रदेश के भिंड जिले में बेटियों को आज भी अभिशाप ही समझा जाता है. कन्या भ्रूण हत्या के लिए भिंड जिला बदनाम रहा है, लेकिन बदलते समय के साथ यहां के युवाओं ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि अभिशाप मानी जाने वाली कन्याओं का अस्पताल में जन्म होने के बाद घर आगमन अब लक्ष्मी के रूप में हो रहा है. इस उत्सव के लिए युवा क्या तैयारियां करते हैं. जानते हैं…

अरे भगवान रूठा हुआ है, तभी रामसिंह के यहां बेटी पैदा हुई है. बेटा होता तो समझ आता कि अच्छे कर्म कर रहा है… कुछ ऐसी ही बातें भिंड क्षेत्र में सुनने को मिलती थी, जब किसी के घर में बेटी का जन्म होता था, लेकिन पिछले दो साल में कुछ ऐसा हुआ है कि लोग अब बेटियों को बोझ नहीं, बल्कि लक्ष्मी समझकर गृह प्रवेश कराने लगे हैं. यह सब हुआ है युवाओं द्वारा संचालित केएएमपी संगठन के जरिए. युवाओं को जैसे ही अस्पताल से जानकारी मिलती है कि किसी के घर बेटी का जन्म हुआ है, तो वह उस परिवार के लोगों से संपर्क कर अपने खर्चे पर उस शिशु कन्या का धूमधाम से गृह प्रवेश करवाने की तैयारी करते हैं.

धूमधाम से कराते हैं बेटी का गृह प्रवेश
केएएमपी संगठन के अध्यक्ष तिलक सिंह भदौरिया का कहना है कि हमारे ग्रुप के सदस्यों को जैसे ही अस्पताल में बच्ची के पैदा होने की खबर मिलती है, वे अपने काम में जुट जाते हैं. प्रसूता की अस्पताल से छुट्टी होकर घर पहुंचने के कुछ घंटे पहले ही संगठन के युवा, कन्या के स्वागत के लिए कारपेट बिछाकर फूलों से स्वागत और बेटी है तो कल है लिख देते हैं. इसके बाद माँ के साथ शिशु कन्या का आगमन होता है, तब ढोल नगाड़ों के बीच उन्हें लाया जाता है, फिर कपड़े पर बेटी की पद छाप ली जाती है. बेटी को तराजू में रखकर फल या मिष्ठान्न से तुलादान करते हैं, इसके बाद घर मे बेटी का लक्ष्मी पूजन किया जाता है.

बदल दी हमारी सोच
स्थानीय निवासी सुभाष शुक्ला का कहना है कि बेटियों के जन्म को अभिशाप समझने के मामले में भिंड जिला बदनाम रहा है, लेकिन कैंप संगठन के इन युवाओं ने जिस तरह से बेटियों को लक्ष्मी रूप में समझाकर लोगों को जागरूक किया है, उसने स्थितियां बदल दी हैं. बेटी के जन्म पर मुंह लटकाने की जगह अब जश्न मनाया जा रहा है. इस संगठन के युवा धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने पहले गांव के जरूरतमंदों को राशन देकर मदद करना शुरू किया और अब बेटियों को बचाने की यह मुहिम शुरू की है.

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