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उत्‍तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों को मिले वेतन का 50 प्रतिशत भत्ता

देहरादून: प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों को वेतन का 50 प्रतिशत भत्ता देने की मांग की है। वहीं, एमबीबीएस व बीडीएस चिकित्सकों को भी 20 प्रतिशत पर्वतीय भत्ता देने की मांग उठाई है। कहा कि पीजी में अध्ययनरत चिकित्सकों को भी अध्ययन की अवधि में पूर्ण वेतन दिया जाए।

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ ने पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित मेडिकल कालेजों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों का वेतन बढ़ाकर डेढ़ गुणा किए जाने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है। वहीं, इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जिला चिकित्सालयों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जा रही है

संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डा. मनोज वर्मा की अध्यक्षता में हुई संघ की बैठक में कहा गया कि पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों तैनाती अलग-अलग माध्यमों से की जाती है। टीएनएम से आउटसोर्स पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपये का वेतन दिया जा रहा है।

वहीं पीपीपी मोड के अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों को भी प्रतिमाह दो से तीन लाख रुपये वेतन मिल रहा है। अब मेडिकल कालेजों में कार्यरत चिकित्सकों को भी प्रतिमाह डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक का वेतन दिया जाएगा। जबकि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत सेवा दे रहे चिकित्सक, जो कि जिला चिकित्सालयों से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक तैनात हैं और अपनी विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें सुविधाओं से वंचित रखा गया है

विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार से संघ आक्रोशित है। कहा कि जब सरकारी चिकित्सक पीजी करते हैं तो उनका वेतन भी आधा कर दिया जा रहा है। जो चिकित्सक पहले मात्र 96000 रुपये वेतन पा रहे थे, पीजी के दौरान उन्हे मात्र 48000 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। जबकि वे पर्वतीय क्षेत्र में सेवा देने का बांड भी भरते हैं।

कहा कि एक तरफ अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी हैं, वहीं जो चिकित्सक विशेषज्ञ सेवाएं दे भी रहे हैं उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी भी उन्होंने दी है। बैठक में महासचिव डा. रमेश कुंवार, डा. पीयूष त्रिपाठी, डा. आलोक जैन, डा. सचिन चौबे, डा. प्रदीप राणा, डा. प्रताप रावत आदि मौजूद रहे

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