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गांवों को मॉडल के रुप विकसित कर रहा है पलायन निवारण आयोग

उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग 15 गांवों को मॉडल के रूप में विकसित कर रहा है। चयनित गांवों में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष रूप से कार्य किया जा रहा है। आयोग उत्कर्ष बैंक के सहयोग से अल्मोड़ा जिले के सल्ट विकासखंड में यह साझा प्रयास कर रहा है। यह कहना है आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी का। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में पलायन का मूल कारण शिक्षा व स्वास्थ्य है। ग्रामीण स्तर पर इन दोनों मूल कारणों पर काम किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि चयनित गांवों में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में गांव-गांव जाकर कार्य शुरू कर लिया गया है।

डॉ. नेगी ने बताया कि क्षेत्र में एक स्वास्थ्य सहायक तैनात किया गया है। जो गांव-गांव जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करेगा। साथ ही बीमारियों, उनसे बचाव व सुझाव दिए जाएंगे। शिक्षा सहायक गांव में बच्चों को कमजोर विषय में पढ़ाएगा। कहा आजीविका सहायक गांव स्तर पर आजीविका के संसाधनों, उपयोग व बाजार उपलब्ध कराए जाने की दिशा में कार्य करेगा।

उन्होंने बताया कि पलायन की रोकथाम पर कार्य किए जाने के लिए आयोग व सरकार के बीच एक पलायन निवारण समन्वय समिति का गठन किया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद वर्धन को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। आयोग के उपाध्यक्ष व पांच सदस्य समिति में सदस्य बनाए गए हैं। उपाध्यक्ष डॉ. नेगी ने बताया कि नवगठित समिति की एक बैठक हो चुकी है, जल्द ही दूसरी बैठक आयोजित की जाएगी।
जनवरी में सौंपेगे सर्वेक्षण की रिपोर्ट
उत्तराखंड में पलायन की वर्तमान स्थिति पर आयोग ने सर्वेक्षण कार्य पूर्ण कर लिया है। उपाध्यक्ष डॉ. नेगी ने बताया कि प्रदेश के सात हजार 500 ग्राम पंचायतों में पलायन की वर्तमान स्थिति का सर्वे पूरा हो गया है। जनवरी 2023 में सर्वे रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी

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