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पहली बार क्वार्टर फाइनल में मोरक्को, पेनाल्टी शूटआउट में गोलकीपर यासिन बोनू ने किया कमाल

दोहा,   स्पेन के कोच लुइस एनरिक ने मोरक्को के विरुद्ध मैच से पूर्व कहा था कि पेनाल्टी शूटआउट को वह लाटरी की तरह नहीं लेते, इसलिए स्पेन के खिलाडि़यों ने 1000 पेनाल्टी किक का अभ्यास किया है। अभ्यास तो किया था, पर सामने स्पेन की लीग ला लिगा के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों में से एक यासिन बोनू थे। उन्होंने स्पेन के एक भी किक को गोलपोस्ट के पार नहीं करने दिया और स्पेन का सफर अंतिम-16 में ही समाप्त कर दिया। स्पेन को झटका सिर्फ यासिन बोनू ने नहीं दिया, बल्कि मैड्रिड में जन्मे अशरफ हकीमी जिन्होंने मोरक्को के तरफ से अंतिम स्पाट किक लिया उन्होंने भी गोल दाग उनके सपने को तोड़ दिया। पेनाल्टी शूटआउट में मोरक्को ने स्पेन को 3-0 से हराया

स्पेन की युवा टीम भले एकबार फिर टिकिटाका शैली को दर्शाते हुए एक हजार से अधिक पास कर गेंद अपने पास रखने में सक्षम रही, पर वह गोल नहीं कर सकी। पहले हाफ से ही टीम को कई मौके मिले पर वह किसी को गोल में तब्दील नहीं कर पाई। जापान से उलटफेर का शिकार हुई स्पेन की टीम के लिए यह दूसरा झटका था। टीम इस विश्व कप में सिर्फ कोस्टा रिका से जीत पाई। जर्मनी से उन्होंने ग्रुप चरण मुकाबले में ड्रा खेला था। स्पेन की युवा ब्रिगेड का नेतृत्व सर्जियो बुस्केट्स कर रहे थे। ऐसे में मोरक्को के डिफेंडरों ने उनपर दबाव बनाए रखा और उन्हें गेंद आगे स्ट्राइकरों तक पहुंचाने का ज्यादा मौका नहीं दिया।

ग्रुप चरण मुकाबले में बेल्जियम जैसी विश्व की नंबर दो टीम को रौंदकर अंतिम-16 में पहुंची मोरक्को की टीम ने एक और उलटफेर कर सारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। मोरक्को, विश्व की 22वीं नंबर की टीम है। टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इस बार यह अफ्रीकी टीम सिर्फ ग्रुप चरण में शीर्ष पर नहीं रहेगी, बल्कि कई उलटफेर कर पहली बार क्वार्टर फाइनल में पहुंच जाएगी। हालांकि, मैच में भले गेंद स्पेन ने अधिक अपने पास रखी हो, पर मोरक्को ने छह बार गोलपोस्ट की तरफ प्रयास किया और इसमें से दो सही निशाने पर थे। चौंकाने वाली बात यह है कि स्पेन ने 13 प्रयास किए और सिर्फ एक बार सही निशाने पर गेंद गई।दबाव नहीं झेल सका युवा स्पेनस्पेन की युवा टीम में बड़े मुकाबले में अनुभव की कमी दिखी। गेंद को 75 फीसद से ज्यादा अपने पास रखने के बावजूद वह मोरक्को की डिफेंस लाइन को चकमा नहीं दे सके।

रोमेन साइस, अगुअर्ड और हकीमी मोरक्को के लिए इस मैच में भी किले के तरह रहे, उन्हें भेदना इस विश्व कप में नाकों चने चबाने की तरह है। पेनाल्टी शूटआउट में भी स्पेन पर साफ तौर पर दबाव दिखा। पहले सराबिया ने जहां पोल पर, सोलर और बुस्केट्स के प्रयासों को आसानी से बोनू ने विफल कर दिया। 2010 में जब स्पेन की टीम विश्व विजेता रही थी, तब उन्होंने टिकिटाका शैली का प्रदर्शन किया था। आंद्रे इनिएस्ता की अगुआई में टीम एकमात्र बार चैंपियन रही है।

पेनाल्टी शूटआउट में चमका मोरक्को

पेनाल्टी शूटआउट में मोरक्को ने मौका नहीं गंवाया। पहले प्रयास से ही वह पूरे आत्म विश्वास से भरे थे। अब्देलहामेद सबीरी ने जब प्रयास लिया तो स्पेन के गोलकीपर सिमन के पास कोई मौका नहीं था। सिर्फ बेनाउन के गोल को सफलतापूर्वक सिमन रोकने में सक्षम हुए।

पेनाल्टी का परिणाम :

मोरक्को

अब्देलहामेद सबीरी- गोल

हकीम जियेक- गोल

बाद्र बेनाउन – चूके

अशरफ हकीमी- गोल

स्पेन

पैब्लो सराबिया – चूके

कार्लोस सोलर – चूके

सर्जियो बुस्केट्स – चूके

क्वार्टर फाइनल में अब मोरक्को का सामना अब पुर्तगाल से होगा। बता दें कि पुर्तगाल ने अंतिम-16 के आखिरी मुकाबले में स्विट्जरलैंड को 6-1 से रौंदकर क्वार्टरफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। रोनाल्डो के बिना उतरी पुर्तगाल की टीम ने पहले हाफ में ही दो गोल दाग दिए थे। मैच के नायक रहे गोनकैलो रैमोस ने इस विश्व कप की पहली हैट्रिक लगाई। उन्होंने पहले हाफ में सबसे पहला गोल दागा। उनके बाद पेपे ने गोल दागकर बढ़त को दोगुनी कर दी।

दोनों टीमों की शुरुआती एकादश

स्पेन: उनाई सिमोन (गोलकीपर) मार्कोस लोरेंटे, रोड्री, एमेरिक लेपोर्ट, जोर्डी अल्बा, गावी, सर्जियो बुस्केट्स, पेड्री, फेरान टोरेस, मार्को असेंसियो, दानी ओल्मो।

मोरक्को: यासिन बाउनोउ (गोलकीपर) अशरफ हकीमी, नायेफ अगुएर्ड, रोमेन सैस, नूस्सैर मजरौई, अज्जेदीन उनाही, सोफ्यान अमरबात, सेलिम अमाल्लाह; हकीम जिएच, यूसुफ एन-नेसरी, सोफियान बौफाल।

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