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वर्तमान और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष में नियुक्तियों को लेकर रार, खींचतान तेज

देहरादून : उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर गुटीय खींचतान समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी का नया संगठन आकार लेने से पहले ही दिग्गजों में टकराव शुरू हो गया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह आमने-सामने आ गए हैं। प्रदेश अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर दर्शनलाल की ताजपोशी और अब महानगर अध्यक्ष पद से लालचंद शर्मा को हटाने के बाद दोनों के बीच दूरी और बढ़ गई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा को वर्तमान में दो मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। एक ओर सत्ताधारी दल भाजपा, तो दूसरी ओर आंतरिक मोर्चे पर गुटीय खींचतान से पार पाना माहरा के लिए मुश्किल बना हुआ है। प्रचंड बहुमत से दूसरी बार सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार और संगठन उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए अजेय बना हुआ है।

विधानसभा और लोकसभा के चुनाव ही नहीं, त्रिस्तरीय पंचायतों से लेकर शहरी निकायों पर भाजपा अपनी मजबूत पकड़ स्थापित कर चुकी है। कांग्रेस को जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए जमकर संघर्ष करना पड़ रहा है। पांचवीं विधानसभा के चुनाव में बीते मार्च माह में पराजय मिलने के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी करन माहरा के कंधों पर डाली

माहरा इन दोनों ही चुनौतियों से जूझते हुए प्रदेश में संगठन को मजबूत करने के अभियान में जुटे हैं। संगठनात्मक चुनाव के बाद प्रदेश में कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का गठन होना है, लेकिन इससे पहले माहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के बीच तलवारें खिंच गई हैं।

विधानसभा चुनाव से मात्र सात महीने पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने से नाराज प्रीतम सिंह पर चुनाव में हार का ठीकरा भी फूटा। नेता प्रतिपक्ष पद पर उनके दावे को पार्टी हाईकमान ने दरकिनार कर दिया पार्टी के भीतर बदली परिस्थितियों से असहज प्रीतम सिंह की नाराजगी उस वक्त बढ़ गई, जब प्रदेश अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर उनके धुर विरोधी दर्शन लाल को बैठाया गया। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए प्रीतम सिंह ने दर्शन लाल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी।इसके बाद महानगर अध्यक्ष पद पर प्रीतम सिंह के करीबी लालचंद शर्मा पर गाज गिर गई। कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में लिए गए निर्णय को आधार बनाकर शर्मा पर कार्रवाई के लिए प्रदेश नेतृत्व ने उनके समानांतर कार्यक्रमों को भी प्रमुख कारण माना।

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