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पहले की देशरक्षा, अब पहाड़ी गांव के प्रधान बन बहा रहे समृद्धि की बयार, किसानों की बढ़ी आय

नई टिहरी, उत्तराखंड में टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक का बंगलो की कांडी एक छोटा-सा गांव है, लेकिन यहां रहने वाला प्रत्येक काश्तकार समृद्ध है। सौ परिवारों वाले इस गांव की आबादी 800 के आसपास है। गांव के काश्तकार हर वर्ष लगभग दो करोड़ रुपये की सब्जी और फलों का कारोबार करते हैं। आईटीबीपी से सेवानिवृत्त होकर गांव के प्रधान बने सुंदर सिंह की सोच और योजनाबद्ध तरीके से की गई खेती और बागवानी से बंगलो की कांडी आज न केवल टिहरी जिले के सबसे खुशहाल गांवों में शुमार है, बल्कि अन्य गांवों के लिए भी नजीर बन रहा है।

प्रसिद्ध पर्यटनस्थल कैम्प्टी फॉल के निकट स्थित बंगलो की कांडी गांव में वर्ष 2019 से पहले पारंपरिक तरीके से खेती-किसानी होती थी और काश्तकार औसत व्यापार ही करते थे। इसी वर्ष भारत-तिब्बत सीमा पुलिस से हवलदार रैंक से सेवानिवृत्त हुए 60-वर्षीय सुंदर सिंह गांव के प्रधान बने।

उन्होंने गांव में वैज्ञानिक तरीके से खेती शुरू की। गांव में महज दस लोग ही सरकारी नौकरी करते हैं और अन्य सभी का मुख्य व्यवसाय कृषि है। प्रधान बनने के बाद सुंदर सिंह ने कृषि में ही कुछ विशेष प्रयोग किए। सबसे पहले उन्होंने अपने खेतों से एक हजार पुराने फलों के पेड़ हटाकर उनकी जगह हाइब्रिड प्रजाति वाले सेब, खुबानी, आड़ू, पुलम और अखरोट के नए पौधे लगाए।

इसके बाद अन्य परिवारों ने भी ऐसा ही किया। साथ ही उद्यान और कृषि विभाग के सहयोग से ग्रामीणों को नए उन्नत बीज भी उपलब्ध कराए गए। प्रधान सुंदर सिंह कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद जब मैं गांव लौटा तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे गांव में सबसे कीमती कैम्प्टी फॉल का पानी है। इससे हम बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। सभी के सहयोग से हमने उन्नत खेती और इसके लिए उपकरणों के उपयोग की दिशा में कदम बढ़ाए। आज मेरा गांव फल और सब्जी उत्पादन में संभवत: जिले में पहले नंबर पर है

बंगलो की कांडी गांव के खेतों में कैम्प्टी फॉल के पानी से सिंचाई की जाती है। गांव में मत्स्य पालन के लिए दो टैंक बने हुए हैं और दो निर्माणाधीन हैं। सौ परिवारों वाले इस गांव में 75 परिवारों के पास अपने मवेशी हैं। गांव में सौ-सौ वर्ग मीटर के 15 बड़े पॉलीहाउस और 25 छोटे पॉलीहाउस हैं। इसके अलावा गांव में एक अमृत सरोवर भी बनाया गया है। प्रधान की प्रेरणा से हर ग्रामीण खेतों में काम करने के लिए अनिवार्य रूप से समय निकालता है। गांव के अधिकांश व्यक्तियों की कैम्प्टी में दुकान और होटल हैं।

बंगलो की कांडी गांव के प्रधान सुंदर सिंह स्वयं एक वर्ष में पांच से छह लाख रुपये की सब्जी और फल बेचते हैं। जबकि, उनके खेतों में लगे कई पेड़ अभी फल नहीं दे रहे। इसी तरह गांव में खेती करने वाला प्रत्येक परिवार वर्ष में डेढ़ से दो लाख रुपये की सब्जी और फल बेच देता है। गांव में सभी परिवार संपन्न एवं खुशहाल हैं। मसूरी के होटल और रिसॉर्ट में ही गांव के पूरे उत्पाद बिक जाते हैं।

‘बंगलो की कांडी जैसे गांवों के मेहनती, लगनशील और प्रगतिशील काश्तकारों को प्रशासन की ओर से पूरा प्रोत्साहन और सहयोग दिया जाता है। गांव के प्रधान सुंदर सिंह अपनी विकासोन्मुखी सोच के कारण अन्य गांवों के साथ ही पूरे जिले के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।’ – मनीष कुमार, मुख्य विकास अधिकारी, टिहरी गढ़वाल

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