Wed. Apr 30th, 2025

उत्तराखंड में विकसित होंगे चौरासी कुटी व हर्षिल समेत पांच स्थल, स्थानीयों को मिलेगा रोजगार

देहरादून : 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में स्थित सुरम्य स्थल अब पर्यटकों को वन एवं वन्यजीव संरक्षण को प्रेरित करने के साथ ही स्थानीय निवासियों के लिए स्वरोजगार का जरिया भी बनेंगे।

इस कड़ी में ऋषिकेश की चौरासी कुटी व उत्तरकाशी के हर्षिल समेत पांच स्थलों को ईको टूरिज्म की दृष्टि से विकसित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य वन्यजीव बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद अब इस दिशा में कसरत शुरू कर दी गई है

पर्यटन विभाग के सहयोग से इनके लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। प्रयास यह है कि नए साल में ये पांचों स्थल ईको टूरिज्म के नए केंद्र के रूप में वैश्विक स्तर पर पहचान बनाएं।

अक्सर यह प्रश्न उठता है कि वन एवं वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद उत्तराखंड में वन क्षेत्रों को स्थानीय निवासियों के स्वरोजगार से क्यों नहीं जोड़ा जा रहा। यद्यपि, इस दिशा में छिटपुट रूप से पूर्व में पहल अवश्य हुई, लेकिन अब इसे लेकर गंभीरता से कदम बढ़ाने की तैयारी है।

इसे देखते हुए राज्य के वन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वन विभाग की ओर से हाल में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पांच स्थलों को इस दृष्टि से विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया। विमर्श के बाद बोर्ड ने इस पर सहमति दे दी।

वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल के अनुसार जिन पांच नए स्थलों को ईको टूरिज्म के लिहाज से विकसित किया जाएगा, उनमें चौरासी कुटी (राजाजी टाइगर रिजर्व), हर्षिल, टिहरी झील से लेकर धनोल्टी तक के क्षेत्र के अलावा पिथौरागढ़ के मुनस्यारी के दो क्षेत्र चिह्नित किए जा रहे हैं।

इन स्थलों के लिए वहां की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग के सहयोग से कार्ययोजना बनाकर इसे धरातल पर मूर्त रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म ऐसी विधा है, जिससे प्रकृति से बिना किसी छेड़छाड़ के पर्यटन गतिविधियां संचालित की जाती हैं। इससे जहां लोग वन एवं वन्यजीव संरक्षण से जुड़ सकेंगे, वहीं स्थानीय निवासियों के लिए स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे

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