हिमाचल प्रदेश ऋषि मुनियों और देवी-देवताओं की भूमि हैं। प्रदेश के हर जिलें में दुनिया का वास है। वहीं, प्रदेश के जिला बाजार के चौहारघाटी के आराध्य पहाड़ी बजीर देव पशाकोट लव लश्कर सहित तीन महीने घूमने के बाद 20 मार्च को मूल मंदिर मठी बजगाण और नालडेहरा में होंगे। विराजमान के साथ आपका हार देवपशाकोट सीधे शिवरात्रि पर्व के भ्रमण पर प्रस्थान कर रहा है। देव पशाकोट तीन माह लगातार अपनी हार की सैर करेगा। चौहार घाटी के विश्व में देव पशाकोट की सबसे बड़ी हार है। जिसे पूरा करने के बाद करीब 20 मार्च को देव पशाकोट अपने मूल मंदिर मठी बजगान और नालदेहहरा में विराजमान होंगे। व महाशिवरात्रि में शामिल होने के बाद भगवान नेरचौक और सुंदरनगर क्षेत्र में भी आपके भक्तों के घरों में शिरकत करेंगे।
देवता के मुख्य कार्डार ओमप्रकाश, पुजारी प्रकाश गुर राकेश कुमार, मातारविवार को देवता अपने मंदिर नोणी गुरु बुद्धि सिंह, दूमच ओम प्रकाश नालडेहरा से लाटवण द्रगोल अच्छर सिंह और प्रस्थान हुए। यहां की स्थानीय पंचायतों में नानक चंद आदि कार्डदार देवकोट अपने भक्तों पर शिरकत करने के साथ घूम रहे हैं। जोगिंद्रनगर से विस्तृत मटरू क्षेत्र का भ्रमण करने के बाद भगवान वापस जोगिंद्रनगर की ओर प्रस्थान हो जाएंगे। यहां से गुमशुदा होते हुए उरला स्थित करालड़ी मंदिर में प्रवेश करेंगे। मननतें पूरी तरह से दूर-दूर तक आने वाले मेहमानों के यहां आने जातर उत्सव का आयोजन करते हैं।