IIT Roorkee के रिसर्चर्स ने विकसित किए किफायती सोलर सेल, अब कम खर्च में संरक्षित होगी अधिक ऊर्जा
रुड़की : IIT Roorkee : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के शोधकर्त्ताओं ने उच्च गुणवत्ता के पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित किए हैं। भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर सोमित्र सतपथी के मार्गदर्शन में हुए इस शोध में सेल को बेहतर बनाने के साथ ही उच्च गुणवत्ता का बनाया गया है। अधिक ऊर्जा को संरक्षित करने के चलते यह अधिक समय तक काम करेंगे।
पानी, कोयला आदि से तैयार होने वाली ऊर्जा की तुलना में अक्षय ऊर्जा काफी सही है और यह ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। पृथ्वी पर इसकी उपलब्धता भी काफी अधिक है। करीब दस साल से पेरोवस्काइट सोलर सेल्स नेक्स्ट जेनरेशन फोटोवोल्टिक टेक्नोलाजी के रूप में स्थापित हुई। इसमें सिलिकान सोलर सेल्स की तुलना में पीसीई अधिक होता है
यह तकनीक सस्ती होने के साथ ही इसको बनाने की प्रक्रिया भी आसान है। इसको लेकर रुड़की आइआइटी रुड़की के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर सतपथी एवं रिसर्च स्कालर युक्ता लगातार काम कर रहे थे। प्रो. सतपथी ने बताया कि पेरोवस्काइट सोलर सेल ने अपेक्षाकृत अधिक पावर कन्वर्जन क्षमता का प्रदर्शन किया है।
इनमें उच्च प्रदर्शन की क्षमता भी है, लेकिन इनकी स्थिरता प्रमुख विकल्पों की तुलना में सीमित है। शोध का मुख्य उद्देश्य पेरोवस्काइट सोलर सेल में अनुकूल सक्षमता प्राप्त करना और लागत भी यथासंभव कम करना है। कम लागत पर पेरोवस्काइट सोलर सेल विकसित हैं। इस दिशा में लगातार काम कर रहे थे और अब जाकर इसमें कामयाबी मिली है
आइआइटी रुड़की के डीन प्रो. अक्षय द्विवेदी ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में संस्थान लगातार काम कर रहा है। शोधकर्त्ताओं ने जो तकनीक विकसित की है, वह बेहद कारगर हैं और आने वाले समय में इसके सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।
संस्थान के निदेशक प्रो. केके पंत ने कहा कि आज पूरी दुनिया कार्बन-न्यूट्रल अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रही है। आइआइटी रुड़की की ओर से विकसित की गई पीएससी कारगर और स्टेबल सोलर सेल विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।