Fri. Nov 22nd, 2024

कृषि में फसल सुरक्षा निभा रही महत्वपूर्ण भूमिका: पांडेय

अल्मोड़ा। विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) नई दिल्ली की ओर से विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में पर्वतीय कृषि से जुड़े पादप कीट, रोगजनक पहचान पर 10 दिवसीय व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो गई है। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीएम पांडेय ने बताया कि वर्तमान कृषि में फसल सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए सभी को इसके लक्षण और निदान की जानकारी होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि पर्वतीय कृषि से जुड़े कीट, रोगजनक निदान तकनीक प्रदान करने के लिए कार्यशाला को विशेष रूप से स्नातकोत्तर और पीएचडी छात्रों के लिए आयोजित किया गया है। यह 10 दिवसीय पाठ्यक्रम कीट, सूत्रकृमि और रोग निदान तकनीक पर विभिन्न व्याख्यानों के साथ- साथ प्रशिक्षुओं में दक्षता विकसित करने में सफल रहेगा। इस दौरान विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों से व्यावहारिक अभ्यास भी कराया जाएगा। संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने प्रतिभागियों को संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी दी। कार्यक्रम के आयोजक वैज्ञानिक डॉ. आशीष कुमार सिंह ने कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी दी। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एनके हेडाऊ ने पर्वतीय कृषि में कीट, रोगजनक निदान के महत्व की जानकारी दी। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेके बिष्ट ने बदलते जलवायु परिदृश्य से संबंधित क्षेत्रों में पौधों की बीमारियों, नेमाटोड और कीट के महत्व को बताया। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केके मिश्रा ने गेहूं के रतुआ रोग में विभिन्न नैदानिक तकनीकों की भूमिका पर बल दिया। कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू, राजस्थान के स्नातकोत्तर, पीएचडी के 20 छात्र भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. गौरव वर्मा ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम में संयोजक डॉ. आशीष कुमार सिंह, डॉ. गौरव वर्मा, डॉ. केके मिश्रा मौजूद रहे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *