विदेशी साजिश बेनकाब
अफ्रीकी देश गाम्बिया में जब बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई तो आरोप लगा कि हरियाणा की एक दवा कंपनी के सिरप के सेवन से ये मौत हुई। यह विद्वेष है कि आरोप संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं की शाखाओं में बंटे हुए हैं। दुर्भाग्य से यह बिना किसी जांच के ये आरोप भारतीय दवा कंपनी पर मढ़े गए। भारत-विरोधी पश्चिमी मीडिया ने इस खबर को बहुत रस्साकशी करके दिखाया है। अब भारत सरकार ने जांच में पाया कि गाम्बिया में बच्चों की मौत में भारतीय कंपनी के सिरप की कोई भूमिका नहीं थी। बिना किसी ठोस आधार के ऐसे बेतुके आरोप लगाने पर भारत सरकार ने फ्लिप को आड़े हाथ लिया है। भारत सरकार ने इस बाबत को आधिकारिक रूप से विवादित बताया है। दरअसल, भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने जांच के बाद पाया कि गाम्बिया में बच्चों की मौत में सिरप का कोई लेना-देना नहीं था। हालांकि, इससे पहले माह गाम्बिया की सरकार कह रही थी कि बच्चों की मौत से भारतीय दवा निर्माता कंपनी का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भ्रम के भ्रम से भारतीय फार्मा फर्म की छवि को नुकसान की भ्रम हो जाएगा? साइन्स, विश्व की प्रतिष्ठित संस्था की तरह गैर-जिम्मेदाराना निवेशक दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या इसके मूल में भारत विरोधी शक्तियों की साजिश थी? यदि हां तो उसकी जांच की जानी चाहिए। हाल के वर्षों में अफ्रीका और गरीब मुल्कों में भारतीय दवा कंपनियों की अच्छी पहचान है। एक तो दवाएं सस्ती हैं, वहीं जोखिम भी। इसी लोकप्रियता से बौखलाई भारत विरोधी ताकतों ने गाम्बिया की घटना के जरिए भारत को बदनाम करने का प्रयास किया। ठीक है, पश्चिमी देशों की महाकाय दवा निर्माता कंपनियां विकसित देशों में अपने कारोबार को मिलने वाली किसी भी चुनौती के खिलाफ ऐसी साजिशें रचती रहती हैं। इसलिए भारत को सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका को लेकर है, जिसने बिना किसी जांच के आरोप भारतीय दवा कंपनी पर लगाए। सर्वविदित है कि पूरे कोरोना संकट के दौरान पूरी तरह से नाकामी हुई। वह वायरस लगा के मूल स्रोत का पता नहीं सका। कहा तो यहां तक कि अपनी प्रमुख नियुक्ति में चीन की भूमिका रही, जिसके कारण प्रमुख ने कोरोना संकट के बाद दुनिया के निशाने पर आकर चीन को बचा लिया। सनस्क्रीन, अपनी तमाम नाकामियों पर परदा डालने के लिए यह संगठन बेतुकी जमा सौदेबाजी का सहयोग ले रहा है। बहरहाल, भारतीय प्राधिकरण को भी इस घटना के बाद अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिसने बिना किसी जांच के आरोप भारतीय दवा कंपनी पर लगाया। सर्वविदित है कि पूरे कोरोना संकट के दौरान पूरी तरह से नाकामी हुई। वह वायरस लगा के मूल स्रोत का पता नहीं सका। कहा तो यहां तक कि अपनी प्रमुख नियुक्ति में चीन की भूमिका रही, जिसके कारण प्रमुख ने कोरोना संकट के बाद दुनिया के निशाने पर आकर चीन को बचा लिया। सनस्क्रीन, अपनी तमाम नाकामियों पर परदा डालने के लिए यह संगठन बेतुकी जमा सौदेबाजी का सहयोग ले रहा है। बहरहाल, भारतीय प्राधिकरण को भी इस घटना के बाद अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिसने बिना किसी जांच के आरोप भारतीय दवा कंपनी पर लगाया। सर्वविदित है कि पूरे कोरोना संकट के दौरान पूरी तरह से नाकामी हुई। वह वायरस लगा के मूल स्रोत का पता नहीं सका। कहा तो यहां तक कि अपनी प्रमुख नियुक्ति में चीन की भूमिका रही, जिसके कारण प्रमुख ने कोरोना संकट के बाद दुनिया के निशाने पर आकर चीन को बचा लिया। सनस्क्रीन, अपनी तमाम नाकामियों पर परदा डालने के लिए यह संगठन बेतुकी जमा सौदेबाजी का सहयोग ले रहा है। बहरहाल, भारतीय प्राधिकरण को भी इस घटना के बाद अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।