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हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में कोहरे को लेकर यलो अलर्ट, क्रिसमस पर वर्षा और बर्फबारी के आसार

देहरादून : उत्तराखंड में मौसम शुष्क बना हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार मैदानों में घना कोहरा छाया रह सकता है। खासकर हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कोहरे को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।

25 दिसंबर को प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ की दस्तक के चलते हल्की वर्षा और बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ में तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर हिमपात हो सकता है। तापमान सामान्य के आसपास बना रह सकता है। इसके बाद नए साल की शुरुआत तक मौसम शुष्क रहने के आसार हैं।

उत्तराखंड में मौसम की मार से जनजीवन बेहाल है। दिन में चटख धूप और सुबह-शाम कड़ाके की ठंड से सेहत नासाज हो रही है। सूखी ठंड के कारण इंसान के साथ ही फसल की सेहत भी बिगड़ रही है।

बीते करीब डेढ़ माह से वर्षा न होने के कारण वातावरण से नमी गायब है। जिससे फ्लू और कोल्ड के लिए मौसम अनुकूल हो गया है। इसके अलावा खेतों में नमी न होने के कारण रबी की फसल भी खासी प्रभावित हुई है। मौसम की बेरुखी से खेती-बागवानी बेहाल है।

अक्टूबर में प्रदेश में झमाझम वर्षा के बाद नवंबर और दिसंबर पूरी तरह सूखा रहा है। जबकि, तापमान सामान्य होने के कारण ठंड में कोई कमी नहीं आई है। शुष्क मौसम के बीच ज्यादातर क्षेत्रों में चटख धूप खिल रही है। जिससे दिन में ठंड से कुछ राहत है, लेकिन सुबह-शाम कड़ाके की ठंड का प्रकोप बना हुआ है। ऐसे में तबीयत नासाज होने की आशंका बहुत अधिक है।

खासकर बच्चे व बुजुर्गों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। इधर, रबी की फसल पर भी मौसम के रूठे मिजाज का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। खेतों में नमी न होने के कारण गेहूं की पैदावार प्रभावित हो रही है। साथ ही कृषि व उद्यान विशेषज्ञों के अनुसार वर्षा न होने के कारण फल-सब्जियों की पैदावार पर भी असर पड़ रहा है। इससे पैदावार घटने के साथ ही गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

उत्तराखंड में मुख्य रूप से चार जिलों देहरादून, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और नैनीताल में सेब के बगीचे हैं। प्रदेश में वर्ष 2021 में 62 हजार मीट्रिक टन सेब उत्पादन हुआ था। जबकि, वर्ष 2022 में अच्छा हिमपात होने के कारण में इसमें बढ़ोतरी हुई और 80 हजार मीट्रिक टन तक रहा। लेकिन, वर्ष 2023 में उत्पादन को लेकर बागवान चिंतित नजर आ रहे हैं
मौसम के मौजूदा बर्ताव को देखते हुए हिमपात होने की आशंका है। जिससे सेब के चिलिंग आवर्स पूरे होना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। आमतौर पर सेब के पेड़ को साल में कम से कम चिलिंग आवर्स 500 घंटे चाहिए, जिससे सेब की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ता है।

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