ये कैसा इन्साफ!2016 बाद वालों पर सितम-16 से 2000 तक वालों पर करम!
साल 2016 के बाद वालों की नौकरी छीन लेने वाले विधानसभा प्रशासन की नजरें इनायत साल 2000 से 2016 तक वालों पर जबरदस्त है. उनके बारे में स्पीकर ऋतु खंडूड़ी विधिक राय लेने का हवाला देती हैं लेकिन जिनको बर्खास्त कर सड़कों पर ला दिया, उनके बारे में विधिक राय एक दिन में ही ले ली गई थी. भर्तियों पर विधानसभा प्रशासन की गलती का खामियाजा बर्खास्त कर्मियों और उनके परिवार को भुगतना पड़ रहा, जो दानों के लिए भी अभी से मोहताज होने लगे हैं. संचित धन ख़त्म होने को है. संघर्ष और नौकरी वापसी की लड़ाई की अगुवाई कर रहे कौशिक भैन्सोड़ा के मुताबिक परिवार पालने के लिए बर्खास्तगी के बाद कई लड़के रैपिडो मोटर साइकिल चलाने के लिए मजबूर हैं. वे इस काम को चेहरा ढांप के अंजाम दे रहे हैं.
सिंगल बेंच के फैसले को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ओवररूल कर दिया. इसके खिलाफ बर्खास्त कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. कौशिक के अनुसार अभी नैनीताल HC की सिंगल बेंच और डबल बेंच में ही फैसला नहीं हुआ है.सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला नहीं दिया है. उनसे SC ने ये कहा है कि पहले हाईकोर्ट के फैसले उनके बारे में साफ़-साफ़ आ जाने दो. इस व्यवस्था को SC का फैसला बता के भ्रमित किया जा रहा है.SC का फैसला अभी आना है.
कौशिक के अनुसार वे कोई जबरदस्ती विधानसभा की नौकरी में नहीं घुसे थे. उनको तदर्थ नियुक्ति दी गई थी. उनके साथ सौतेला बर्ताव क्यों किया जा रहा, समझ में नहीं आ रहा है. उनकी जैसी ही स्थिति में साल 2000 से ले के 2016 तक वालों को भी नौकरी में रखा गया था. उनके साथ पूरा रहम बरता जा रहा है. कोटिया कमिटी की रिपोर्ट को तत्काल उन पर लागू कर दिया गया. इसी कमिटी ने ये भी कहा कि सभी भर्तियाँ गलत ढंग से हुई हैं. इसके बावजूद सिर्फ उनको निशाना बनाया जा रहा है.
SC का फैसला पढ़ा जाए तो विधानसभा में जितनी भी भर्तियाँ अलग-अलग CM और स्पीकर के दौरान की गई हैं, सभी गैर कानूनी सरीखे हैं. उमा देवी जजमेंट में कहा गया है कि कोई भी भर्ती तभी मान्य होगी जब उसकी Vacancy होगी. वह मीडिया में प्रकाशित की जाएगी. फिर नियमानुसार परीक्षाएं और इंटरव्यू होंगे. उसके बाद ही विशेषज्ञ समिति उनके नाम को नौकरी के लिए फाइनल करेगी. विधानसभा में एक भी भर्ती इस किस्म से नहीं की गई है.
कौशिक का ये भी गंभीर आरोप है कि हेम पन्त को मुकेश सिंघल को Suspend कर विधानसभा सचिव बनाया गया है, वह लेखा कैडर का Deputy Secretary है. उनसे सीनियर अफसर विधानसभा में है. फिर हेम को भला कैसे सचिव बनाया गया है. सीनियर को दरकिनार कर हेम पर इनायतों की बारिश क्यों की जा रही है? स्पीकर को ये सब नहीं दिख रहा है? हेम से वरिष्ठ भी विधानसभा प्रशासन में सदस्य हैं.उनको क्यों नहीं तवज्जो दी जा रही है?क्या ऋतु खद भी नहीं चाहती कि साल 2016 तक वालों की ही सुनी जाएं.
स्पीकर की 2016 वालों पर बहुत हल्का और तकरीबन मददगार हाथ रखने की वजह ये मानी जा रही है कि खुद उनके पिता BC खंडूड़ी के CM रहने के दौरान भी विधानसभा में चोर रास्ते भर्तियाँ की गई हैं. साल 2016 से पहले वालों को बर्खास्त किया जाता है तो गाज उन पर भी गिरनी तय है. ऋतु की महत्वकांक्षाएँ उस सूरत में हिल सकती है. यहीं आ के उनके कदम ठिठक रहे हैं. वे कुछ फैसला नहीं कर पा रहे हैं. भर्ती मामलों में BCK के प्रकाश में आने से ऋतु की छवि और प्रतिष्ठा को भी गहरा झटका लग सकता है.
बर्खास्त कर्मचारियों का आरोप है कि स्पीकर उनसे मिलना तक नहीं चाह रहे हैं. कुछ महिला कर्मचारी गलती से उनसे मिले लेकिन बाद में उनको डांट पड़ गई.उनका कहना है कि एक बार CM पुष्कर सिंह धामी को ताजा हालात के बारे में जानकारी हो गई तो वह निश्चित रूप से इन्साफ करेंगे.