Fri. Nov 22nd, 2024

उत्‍तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को संबल देगी टेलीमेडिसन सेवा, दूरदराज क्षेत्रों के मरीजों की परेशानी होगी कम

 देहरादून:  प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को नए वर्ष में गति मिलने की उम्मीद है। इस उम्मीद को प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई टेलीमेडिसन सेवाएं संबल प्रदान कर रही है। इस कड़ी में शासन 400 पीएचसी व सीएचसी के मरीजों को मेडिकल कालेजों से जोड़ा जा रहा है।

पीएचसी व सीएचसी में आने वाले मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री देखकर मेडिकल कालेजों के चिकित्सक उन्हें आनलाइन उपचार उपलब्ध करने में सहायता देंगे। टेलीमेडिसिन कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और उत्तराखंड स्वास्थ्य विकास योजना के संयुक्त तत्वावधान में संचालित हो रहा है।

प्रदेश में अभी दूरदराज के मरीजों को उपचार के लिए मैदानी जिलों के अस्पतालों में आना पड़ता है। इसका कारण पीएचसी व सीएचसी में चिकित्सकों की कमी होना है। ऐसे में टेलीमेडिसन सेवा से इन मरीजों को स्थानीय पीएचसी व सीएचसी के जरिये ही आनलाइन उपचार मिल सकेगा।

इसके लिए कनेक्टिविटी और सभी प्रकार के अवसंरचनात्मक प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में कदम भी बढ़ाए जा रहे हैं। इसके साथ ही टेलीमेडिसन के जरिये उपचार कराने वालों को आशा कार्यकर्त्ताओं के माध्यम से दवा वितरित करने की भी योजना है।

उत्तराखंड स्वास्थ्य नीति से भी स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती की राह खुली है। इस नीति में स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए बजट की व्यवस्था, दक्ष मानव संसाधन समेत अन्य सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है। नीति में विभिन्न सेवाओं के लिए मानक तय करते हुए निश्चित समयावधि में इन्हें पूरा करने की व्यवस्था की गई है।

प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने में सबसे बड़ी चुनौती विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। अस्पतालों में सर्जन, जनरल मेडिसिन, हृदय रोग, स्त्री रोग, एनेस्थिसिया, बाल रोग विशेषज्ञ की सबसे ज्यादा कमी है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की इस कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब यू कोट वी पे योजना ला रहा है। इसके तहत चिकित्सक स्वयं यह तय करेंगे कि उन्हें अपनी सेवाओं के लिए कितना वेतन चाहिए। चिकित्सक की विशेषज्ञता के अनुसार भुगतान की दर तय होगी।

पर्वतीय क्षेत्रों से प्रसव के लिए मैदानी क्षेत्रों के अस्पतालों में आने वाली गर्भवती महिलाओं को अब बर्थ वेटिंग होम (जन्म प्रतीक्षा गृह) में निश्शुल्क ठहरने की सुविधा मिलेगी। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में सुधार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने यह पहल की है। इसकी शुरुआत देहरादून व हरिद्वार जिले से की जा रही है।

खुलेगी ब्लड स्टोरेज यूनिट

प्रदेश में अब गंभीर बीमार व सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को इलाज के लिए समय से रक्त मिल सकेगा। इसके लिए आवश्यकता के हिसाब से हिसाब से संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं।

एसपीएस ऋषिकेश में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की स्थापना की मंजूरी मिल चुकी है। वहीं, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कपकोट, जोशीमठ, चकराता, मुनस्यारी, सितारगंज, धौलादेवी, थत्युड़ व रिखणीखाल में ब्लड स्टोरेज यूनिट खोली जानी प्रस्तावित हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed