देहरादून मेट्रो नियो परियोजना के लिए आईएसबीटी के पास जमीन मुहैया कराएगा एमडीडीए
मेट्रो नियो प्रोजेक्ट की राह से जमीन की अड़चन दूर हो गई है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) आईएसबीटी के पास बाजार दर अपनी जमीन देने के लिए तैयार हो गया है। बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद अपर मुख्य सचिव शहरी विकास को सहमति पत्र भेज दिया गया है। उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन लि. (यूकेएमआरसी) को भी इसकी जानकारी दी गई है।
देहरादून मेट्रो रेल प्रोजेक्ट केंद्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल है। यूकेएमआरसी ने इसका प्रस्ताव तैयार किया था। राज्य सरकार से मुहर लगने के बाद इसे केंद्र को भेजा गया है। यह प्रोजेक्ट करीब 1600 करोड़ का है। आईएसबीटी से घंटाघर तक प्रस्तावित रूट के लिए शुरू में एमडीडीए ने अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया था। लेकिन हाल ही में आयोजित बोर्ड बैठक में प्रोजेक्ट की उपयोगिता को देखते हुए निर्णय लिया गया कि आईएसबीटी के पास स्थित एमडीडीए की 14645.48 वर्ग मीटर भूमि बाजार दर पर मुहैया कराई जाएगी। एमडीडीए के अधीक्षण अभियंता हरिश्चंद्र सिंह ने बताया कि इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है।
आईएसबीटी से घंटाघर
यह रूट साढ़े आठ किमी होगा। आईएसबीटी, सेवला कलां, आईटीआई, लाल पुल, चमनपुरी, पथरीबाग, रेलवे स्टेशन, कचहरी, घंटाघर और गांधी पार्क पर स्टेशन बनेंगे। इस रूट के लिए 1.58 हेक्टेयर सरकारी और 1.18 हेक्टेयर निजी भूमि का अधिग्रहण होना है। वर्ष 2026 तक इस रूट पर रोजाना 88 हजार 215 लोग सफर करेंगे। 2041 तक यह संख्या एक लाख 20 हजार 337 और 2051 तक एक लाख 47 हजार 302 तक पहुंचने की संभावना है।
एफआरआई से रायपुर
यह रूट 13.9 किमी लंबा होगा और 15 स्टेशन बनेंगे। इनमें एफआरआई, बल्लूपुर, आईएमए ब्लड बैंड, दून स्कूल, मल्होत्रा बाजार, घंटाघर, सीसीएमसी, आराघर चौक, नेहरू कॉलोनी, विधानसभा, अपर बदरीश कॉलोनी, अपर नत्थनपुर, ऑर्डनेंस फैक्टरी, हाथीखाना चौक, रायपुर शामिल हैं। इस रूट के लिए 5.08 हेक्टेयर सरकारी और 1.38 हेक्टेयर निजी भूमि के अधिग्रहण की जरूरत है। निर्माण कार्य के दौरान करीब आठ हजार स्क्वायर मीटर जगह अस्थायी तौर पर चाहिए। वर्ष 2026 तक इस रूट पर 92 हजार 679, 2051 तक एक लाख 48 हजार 190 यात्री रोजाना सफर करेंगे।
जानिए मेट्रो नियो के बारे में
मेट्रो नियो रेल गाइडेड सिस्टम है। इसमें रबड़ के टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच होते हैं। ये कोच स्टील या एल्युमीनियम के बने होते हैं। इसमें इतना पावर बैकअप होता है कि बिजली जाने पर भी 20 किमी तक चल सकते हैं। सामान्य सड़कों के किनारों पर फेंसिंग करके या दीवार बनाकर इसका ट्रैक तैयार होता है। इसमें ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम होगा जिससे स्पीड लिमिट नियंत्रण में रहेगी। टिकट का सिस्टम क्यूआर कोड या सामान्य मोबिलिटी कार्ड से होगा। ट्रैक की चौड़ाई आठ मीटर होगी। जहां रुकेगी वहां 1.1 मीटर का साइड प्लेटफॉर्म होगा। इसी स्पीड 70 किमी प्रति घंटा होगी।
90 से 225 लोग कर सकेंगे कोच में सफर
मेट्रो नियो के कोच दो तरह की लंबाई के होंगे। एक कोच 12 मीटर लंबा। इसमें अधिकतम 90 यात्री सफर कर सकेेंगे। दूसरा कोच 24 से 25 मीटर लंबा होगा। इसमें 225 यात्री सफर कर सकेंगे। कोच की चौड़ाई ढाई मीटर होगी। हर स्टेशन की लंबाई 60 मीटर तक होगी।
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काटने पड़ेंगे करीब 307 पेड़
वैसे तो मेट्रो नियो का ट्रैक पूरी तरह से एलिवेटेड होगा लेकिन कुछ जगहों पर रूट पर कुछ पेड़ आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि मेट्रो नियो के लिए करीब 307 पेड़ों का कटान होगा।
प्रोजेक्ट की फाइल फिलहाल केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में है। इसके वित्त विभाग से इसकी अनुमति मिल चुकी है। अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय समेत अन्य विभागों से अनुमति मिलनी बाकी है। राज्य स्तर पर अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। एमडीडीए ने पूछा है कि प्रोजेक्ट के लिए कितनी जमीन की जरूरत है।