फिर जगी कोऑपरेटिव ड्रग फैक्टरी के दिन बहुरने की उम्मीद, डीएम गंभीर

रानीखेत (अल्मोड़ा)। गनियाद्योली स्थित कोऑपरेटिव ड्रग फैक्टरी (सीडीएफ) के दिन एक बार फिर बहुरने की उम्मीद है। डीएम वंदना सिंह के निर्देशन पर जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी और उनकी टीम ने फैक्टरी का निरीक्षण किया। फैक्टरी कर्मचारी यूनियन के शिष्टमंडल ने यूनानी अधिकारी से मुलाकात कर कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण की भी मांग की।
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. निवेदिता उप्रेती विभागीय टीम के साथ निरीक्षण करने के लिए रविवार को सीडीएफ निरीक्षण करने पहुंचीं। उन्होंने कहा कि फैक्टरी की दशा सुधारने के लिए डीएम बेहद गंभीर हैं। कैंट बोर्ड के नामित सदस्य और फैक्टरी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष मोहन नेगी ने बताया कि पहले डॉ. मुकेश कुमार गुप्ता के नेतृत्व में एक टीम ने फैक्टरी का दौरा कर यहां 50 बेड का आयुर्वेदिक चिकित्सालय खोलने की संभावनाएं तलाशी थीं। इसके बाद उन्होंने विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल को पत्र भेजकर मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजा था।
फैक्टरी प्रशासन की तरफ से हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। कर्मचारी यूनियन के शिष्टमंडल ने डॉ. उप्रेती से मुलाकात कर फैक्टरी और कर्मचारियों की समस्याएं सुलझाने की मांग की। निरीक्षण दल में भारतीय चिकित्सा परिषद के सदस्य डॉ. अजीत तिवारी, डॉ. संजय श्रीवास्तव, डॉ. मुकेश कुमार गुप्ता आदि थे।
हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर खोलने पर भी विचार
रानीखेत। सीडीएफ को पर्यटन विकास से जोड़ने के लिए आयुष विभाग यहां हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर खोलने की योजना पर भी कार्य कर रहा है जिसे पर्यटन से जोड़कर फैक्टरी और क्षेत्र का विकास किया जा सकता है। टीम ने बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो यहां वेलनेस सेंटर खुलेगा और क्षेत्र का पर्यटन विकास भी होगा।
भारत रत्न स्व. पं. पंत ने की थी ड्रग फैक्टरी की स्थापना
रानीखेत। 1954 में भारत रत्न स्व. पं. गोविंद बल्लभ पंत ने गनियाद्योली में केसीडीएफ की भूमि पर सीडीएफ की स्थापना की। फैक्टरी के पास ही भेषज विकास संघ की भूमि पर जड़ी-बूटियों का उत्पादन होता था। राज्य बनने के बाद फैक्टरी के दिन बहुरने की उम्मीद थी लेकिन सरकारों के उदासीन रवैये के कारण भेषज कार्यालय ही बंद हो गया। जड़ी-बूटियों का उत्पादन भी ठप हो गया। जड़ी-बूटियों के लिए फैक्टरी को बाहरी राज्यों का मुंह ताकना पड़ गया। धीरे-धीरे उत्पादन घटा। कर्मचारियों की संख्या कम होने से फैक्टरी निरंतर घाटे में पहुंच गई है